लौरिया . महाभारत कालीन नदी माने जाने वाली सिकरहना नदी का पानी सूख गयी है. इससे यहां पर मवेशी एवं किसानों को सिंचाई के लिए परेशानी हो रही है. धोबी वर्ग के लोगों कहना है कि उनको अब यहां कपड़ा धोने के लिए पानी की किल्लत हो गयी है. किवदंती के अनुसार सिकरहना नदी का उद्गम महाभारत के नायक अर्जुन के द्वारा सिक के बाण के रूप में धरती में मारने से हुआ था. इसलिए इस नदी का नाम सिकरहना पड़ा. लेकिन वर्तमान में भीषण गर्मी के बीच इस नदी का पानी सूख चुका है. सिकरहना नदी हरदी नदवा के चौर से निकलती है, जो बसंतपुर डुमरा गोनौली होते हुए लौंरिया चनपटिया होते हुए बहती है. गर्मी के चलते यह नदी सूख चुकी है. इससे मवेशियों को पानी पीने नहाने सहित किसानों को अपने खेतों की सिंचाई के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं लोगों के अंतिम संस्कार में नदी घाट पर नहाने सहित सभी कार्यों में परेशानी हो रही है. इस संबंध में लौंरिया क्षेत्र के लोग काफी परेशान हैं. वहीं धोबी वर्ग के लोगों को कपड़ा धोने के लिए अब अन्यत्र जाना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा लोगों के अंतिम संस्कार में जा रहे लोगों को स्नान सहित पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं होने से लोग परेशान हो रहे हैं. स्थानीय बुजुर्ग जगरनाथ प्रसाद, कृष्णा दास, गुड्डू यादव, शंकर चौधरी आदि बताते हैं कि पहले इस नदी में सालों भर पानी रहती थी. पर्यावरण विद व शिक्षाविद डा देवीलाल यादव बताते हैं कि यह सब ग्लोबल वार्मिंग की देने है. लोग पेड़ पौधे लगा नहीं रहे हैं. पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए पेड़ पौधे लगाया जाना जरूरी है. वहीं लोगों ने सिकरहना घाट पर अंतिम संस्कार में शामिल लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए नगर पंचायत लौरिया प्रशासन से मांग किया है.
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