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सदर अस्पताल को नहीं मिला अधीक्षक, 5 वर्षों से रिक्त है पद

सदर अस्पताल में पिछले 5 वर्ष से अधीक्षक का पद रिक्त है. विडंबना यह है कि 5 वर्ष के बाद भी विभाग द्वारा अभी तक अधीक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है. ऐसे में कार्यवाहक अधीक्षक बनाकर अस्पताल के चिकित्सकीय प्रबंधन सहित अन्य कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है.

मधुबनी. सदर अस्पताल में पिछले 5 वर्ष से अधीक्षक का पद रिक्त है. विडंबना यह है कि 5 वर्ष के बाद भी विभाग द्वारा अभी तक अधीक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है. ऐसे में कार्यवाहक अधीक्षक बनाकर अस्पताल के चिकित्सकीय प्रबंधन सहित अन्य कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है. ऐसे में कार्यवाहक अधीक्षक के सहारे सदर अस्पताल में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय प्रबंधन की कवायद कल्पना से परे है. सदर अस्पताल में चिकित्सकों के स्वीकृत 64 पद के के स्थान पर 45 चिकित्सक पदस्थापित हैं. जिसमें आधा दर्जन चिकित्सक विशेष पठन-पाठन के लिए लंबी छुट्टी पर हैं. सरकार द्वारा सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा व्यवस्था एवं स्वच्छ वातावरण के लिए मिशन 60 डे के बाद मिशन क्वालिटी के तहत कई विकास कार्य किए गए हैं. लेकिन एक अदद अधीक्षक के लिए आज भी सदर अस्पताल सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठा है. विदित हो कि सदर अस्पताल में 1 अक्टूबर 2019 से अधीक्षक का पद रिक्त है. इस बीच समय-समय पर सदर अस्पताल के वरीय चिकित्सा पदाधिकारी को अधीक्षक का प्रभार देकर कार्यवाहक अधीक्षक के रूप में कार्य लिया जा रहा है. ऐसे में सदर अस्पताल में प्रभारी अधीक्षक को भी ओपीडी का संचालन करना पड़ता है. अधीक्षक के पद पर अधीक्षक की नियुक्ति नहीं होने के कारण अस्पताल के कई विकासात्मक कार्य का समय से प्रबंधन करने में परेशानी होती है. कार्यवाहक अधीक्षक को किसी भी तरह के फैसले लेने के लिए सीएस के अनुमति का इंतजार करना पड़ता है. या यूं कहे की कार्यवाहक अधीक्षक को केवल अस्पताल संचालन व देखरेख करने की ही जिम्मेदारी है. कमोबेश यही स्थिति जिले के अन्य स्वास्थ्य संस्थानों का भी है. जिले के चार अनुमंडलीय अस्पतालों में भी उपाधीक्षक का पद वर्षों से रिक्त है. लिहाजा अस्पताल के सुचारू रूप से संचालन के लिए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को ही अनुमंडलीय अस्पताल का उपाधीक्षक का प्रभार दिया गया है. चिकित्सक का स्वीकृत पद 64, पदस्थापित हैं 45 सदर अस्पताल में अधीक्षक सहित 64 चिकित्सकों का पद स्वीकृत है. लेकिन पदस्थापित चिकित्सकों की संख्या 45 है. विदित हो कि सदर अस्पताल में प्रतिदिन 500 से 600 मरीजों का ओपीडी में पंजीकरण होता है. जिनका इलाज ओपीडी में तैनात चिकित्सक द्वारा किया जाता है. सदर अस्पताल में वर्तमान में रेडियोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक व चर्म रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है. रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक की नियुक्ति नहीं होने के कारण अल्ट्रासाउंड रहने के बाद भी सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिए आने वाले मरीजों को एक से दो महीने का समय दिया जाता है. हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत दो-तीन चिकित्सकों को अल्ट्रासाउंड के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है. लेकिन इन चिकित्सकों द्वारा भी प्रतिदिन महज 15 से 20 मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड हो रहा है. जबकि दर्जनों मरीजों को चिकित्सकों द्वारा अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी जाती है. ऐसे में मरीज निजी अल्ट्रासाउंड की ओर रुख करते हैं. उपलब्ध संसाधनों से किया जा रहा है इलाज सिविल सर्जन डा. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि अधीक्षक का पदस्थापन नहीं होने से कुछ कठिनाई हो रही है. लेकिन वरीय चिकित्सकों के सहयोग एवं उपलब्ध संसाधनों से इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर व गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराया जा रहा है.

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