अजय पाण्डेय, घाटशिला
घाटशिला में वर्ष 1949 में स्थापित हिंदी मध्य विद्यालय स्थापना का 75वां वर्ष मना रहा है. स्कूल के अधिकतर कमरे जर्जर हालत में हैं. इन्हीं कमरों में 148 बच्चे जान जोखिम में डाल कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. स्कूल में 14 कमरे हैं. सात उपयोग लायक नहीं है. स्कूल के ऊपरी तल्ले पर पांच कमरे जर्जर हैं. इन पांचों कमरों में कक्षाएं नहीं होतीं. ऊपरी कक्षाओं में बच्चों को जाने पर रोक लगा दी गयी है. कमरों की छत टूट टूट कर गिर रही है. नीचे के तीन कमरों में कक्षाएं नहीं होती हैं. एक ही कमरे में एलकेजी और प्रथम कक्षा, द्वितीय के साथ तृतीय और चतुर्थ के साथ पांचवीं कक्षा के बच्चों को बैठा कर शिक्षा दी जाती है. स्कूल में कमरों का घोर अभाव है. कक्षा छह, सात और आठवीं के बच्चों को अगल-अलग कमरों में बैठा कर कक्षाएं ली जाती हैं.ऊपरी तल्ला बना डेंजर जोन
हिंदी मध्य विद्यालय के ऊपरी कक्षा को स्कूल प्रबंधन ने डेंजर जोन घोषित कर दिया है. ऊपरी तल्ले पर जाने के लिए बनी सीढ़ी घर के दरवाजे पर डेंजर का निशान बना दिया गया है. सीढ़ी रूम में ताला जड़ दिया गया है, ताकि छोटे छोटे बच्चे ऊपरी तल्ले पर नहीं जा सके और दुर्घटना से बच सकें. वहीं नीचे के कमरों की छत के प्लास्टर, पिलर और छज्जा टूट टूट कर गिर रहे हैं. इससे नीचे के तीन से चार कमरों में बच्चों की कक्षाएं नहीं ली जाती है.…कोट…
हिंदी मध्य विद्यालय के सात कमरों में पढ़ाई होती है. एलकेजी के साथ प्रथम, द्वितीय के साथ तृतीय, चतुर्थ कक्षा के साथ पांचवीं कक्षा के बच्चोंं को बैठा कर शिक्षा दी जा रही है. स्कूल में 14 कमरे हैं. सात कमरे उपयोग लायक नहीं हैं. दो कमरों की मांग की गयी है, ताकि बच्चों के लिए पुस्तकालय और लैब की व्यवस्था की जा सके. शिक्षकों को बैठने के लिए स्टॉफ रूम भी नहीं है.– जयमंती, प्रधानाध्यापिका, हिंदी मध्य विद्यालय घाटशिला.
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