राजकुमार रंजन, दरभंगा. जिले में एसएफसी का 95300 क्विंटल क्षमता का कुल 17 गोदाम है. इसके अलावा भाड़ा पर 06 निजी गोदाम विभाग ने ले रखा है. इन गोदामों पर प्राधिकृत ट्रांसपोर्टर प्रत्येक महीना 250 ट्रक के माध्यम से अनाज लाने ले जाने की सेवा देता है. कितना ट्रक आता है, ट्रक अनलोड होकर वापस जाता है या कागजी कोरम पूरा कर, इस पर तीसरी आंख से नजर रखने से एसएफसी कतरा रहा है. अधिकांश छोटे-बड़े सरकारी कार्यालय आदि में सीसीटीवी लग चुका है, पर जहां अनाज लदे ट्रकों का आना-जाना लगा रहता है, वहां इसे नहीं लगाया जाना प्रशासन की निष्ठा पर प्रश्न खड़ा कर रहा है. लोगों का कहना है कि कालाबाजारी के खेल में शामिल अधिकारी गोदामों में पारदर्शिता नहीं आने देना चाहते. इसका फायदा ट्रांसपोर्टर से लेकर गोदाम के पदाधिकारी और कर्मी उठाते हैं. अनाज की कालाबाजारी में कई पदाधिकारी व कर्मी अबतक नप चुके हैं. वैसे समय-समय पर स्टॉक पंजी एवं भंडार आदि का भौतिक सत्यापन कर जांच का कोरम प्रशासन जरूर पूरा कर लेता है. जिले में सरकारी अनाज की कालाबाजारी का खेल कोई नया नहीं है. यह वर्षों से चल रहा है. वर्ष 2021-22 में बेला रैक प्वाइंट से गाेदाम के बीच दो माह में 14 हजार 300 क्विंटल अनाज चोरी का मामला सामने आया था. तत्कालीन डीएम त्यागराजन एसएम ने कालाबाजारी होने का कारण तथा इस पर रोक कैसे लगे को लेकर तब जांच कमेटी गठित की थी. जांच कमेटी ने रैक प्वाइंट से लेकर एसएफसी एवं एफसीआइ के गोदामों तक कुल 20 स्थान चिह्नित कर वहां सीसीटीवी कैमरा लगाने का सुझाव डीएम को दिया था. जानकारों का कहना है कि उक्त सिफारिश को न जाने किस दबाव में अभी तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है. कहीं भी कैमरा नहीं लगाया गया. नतीजा आज भी सरकारी अनाज की खुले आम कालाबाजारी हो रही है. एसएफसी डीएम मंजय कुमार ने बताया कि कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए एसएफसी के सभी गोदाम पर सीसीटीवी कैमरा लगाया जाना है. इसको लेकर राज्य मुख्यालय से मार्गदर्शन मांगा गया है.
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