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भाजपा को सत्ता से बेदखल करने वाला है यह चुनाव : अभिषेक

उन्होंने आरोप लगाया पिछले पांच वर्षों में भाजपा नीत केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण उनके प्रति लोगों में घृणा पैदा हो गयी है.

कोलकाता. शनिवार सुबह करीब 10 बजे तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भवानीपुर के मित्र इंस्टीट्यूशन में मतदान किया. वोट देने के बाद वह स्याही लगी उंगली और जीत का इशारा करते हुए बाहर निकले. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए फिर भाजपा पर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया पिछले पांच वर्षों में भाजपा नीत केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण उनके प्रति लोगों में घृणा पैदा हो गयी है. यह मतपेटी में प्रतिबिंबित होगा. केंद्र में भाजपा को सत्ता से उखाड़ने वाला यह लोकसभा चुनाव है.

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के छह चरणों के तहत हुए मतदान में ही बंगाल में तृणमूल 23 से ज्यादा सीटों पर कब्जा जमा चुकी है. शनिवार को यहां नौ सीटों में सभी पर तृणमूल की जीत को लेकर आशावादी हैं. अभिषेक ने तृणमूल की चुनावी संभावनाओं पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी को सीट और मत प्रतिशत, दोनों के मामले में 2019 के चुनावों की तुलना में अपने प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद है. मोदी का ‘ध्यान’ : करदाताओं के पैसे से किया जा रहा मीडिया का तमाशा

अभिषेक बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कन्याकुमारी में अपने ‘ध्यान’ सत्र को करदाताओं के पैसे से वित्त-पोषित ‘मीडिया तमाशा’ में बदलने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा : ध्यान एक व्यक्तिगत अभ्यास है, जो शरीर, मन और आत्मा के लिए लाभदायक है. इसके सार्वजनिक प्रदर्शन की क्या जरूरत है? मैं और हर कोई ध्यान कर सकता है.

प्रधानमंत्री के अलावा गृह मंत्री पर भी बोला हमला : अभिषेक बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गयी राज्य सरकारों को गिराने की धमकी देने का आरोप लगाया और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति उनकी अवहेलना की निंदा की. उन्होंने कहा : सबसे पहले, चार जून के नतीजों का इंतजार करें और देखें कि आप (भाजपा) वास्तव में कितनी सीट जीत पाते हैं.

यदि जनता साथ है, तो भाजपा क्यों भयभीत है

प्रधानमंत्री के वाराणसी से चुनाव लड़ने के फैसले पर तंज कसते हुए तृणमूल नेता ने कहा : वह (प्रधानमंत्री) कहीं से भी चुनाव लड़ सकते थे, लेकिन निर्वाचन आयोग द्वारा वहां कई अन्य उम्मीदवारों के नामांकन खारिज किये जाने के आरोप हैं. अगर वह जीत को लेकर इतने आश्वस्त हैं, तो ऐसा कदम क्यों उठाया? वाराणसी में जिस तरीके से लोकतंत्र का गला घोंटा गया है. उम्मीदवारों के नामांकन रद्द किये गये, नामांकन दाखिल करने वालों को आरओ के ऑफिस में घुसने तक नहीं दिया गया. ये लगातार चार-पांच दिनों तक हुआ. उनके नाम पर भाजपा का हर उम्मीदवार जाकर वोट मांगता है, तो डरने वाली क्या बात है? डायमंड हार्बर में सबने नामांकन किया. कोई रोक-टोक नहीं है. डायमंड हार्बर निर्वाचन क्षेत्र में जहां मैं चुनाव के मैदान में हूं, वहां भाजपा, माकपा, एसयूसीआई सभी तृणमूल कांग्रेस के साथ-साथ दावेदार हैं. अगर आपके पास लोगों का समर्थन है, तो आपको विरोधियों से डरना नहीं चाहिए.

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