देश के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा की अगुवाई वाले टाटा समूह ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की दुनिया में भविष्य के अवसर तलाश लिये हैं. कंपनी 100 से अधिक जेनरेटिव एआई प्रोजेक्ट्स में जुट गई है.
कंपनी के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि समूह की कंपनियां 100 से अधिक जेनरेटिव एआई (जेनएआई) परियोजनाओं पर काम कर रही हैं.
चंद्रशेखरन ने कहा कि एआई के नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं, जिसमें नौकरियों में छंटनी और गोपनीयता संबंधी चिंताएं शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इन पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
समूह की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा शाखा टीसीएस की 29वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सभी परियोजनाओं से समूह को लाभ हुआ है और भविष्य में जेनएआई का देश के लगभग हर क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.
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उन्होंने हालांकि कहा कि इसका प्रभाव बी2बी (कंपनियों के बीच) फर्मों के बजाय उपभोक्ता केंद्रित क्षेत्रों में अधिक होगा. उन्होंने कहा कि दोनों प्रकार के व्यवसाय एआई को अपनाएंगे और इससे लाभान्वित होंगे.
चंद्रशेखरन ने कहा, टाटा समूह में हम 100 से अधिक जेनएआई परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहे हैं. ये सभी परियोजनाएं ग्राहक अनुभव, उत्पादकता और दक्षता के मामले में बहुत ही सटीक व्यावसायिक प्रभाव दिखा रही हैं.
उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में जेनएआई टाटा समूह की कंपनियों को उत्पाद कैटलॉग बनाने, संवादात्मक खरीदारी का अनुभव देने और व्यक्तिगत पेशकश में मदद कर रही है.
चंद्रशेखरन ने कहा कि टाटा समूह की कंपनियां निविदा दस्तावेजों जैसे बड़े दस्तावेजों का विश्लेषण करने के लिए भी जेनएआई का इस्तेमाल कर रही हैं. जेनएआई न केवल उत्पादकता में सुधार करेगी, बल्कि ऐसा प्रभाव भी पैदा करेगी, जिसकी कभी कल्पना नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि एआई प्रत्येक कर्मचारी को उत्पादकता के उच्च स्तर पर प्रदर्शन करने में मदद करेगी. (भाषा इनपुट के साथ)