बरहट. प्रखंड क्षेत्र के नुमर गांव निवासी किसान दिलीप सिंह आसपास के किसानों के लिए रोल माॅडल बन गये हैं. 10 साल पहले पारंपरिक खेती छोड़कर उन्होंने अपने गांव की पुश्तैनी 13 बीघा जमीन पर आम का बागीचा लगाया और इससे उन्हें सालाना अच्छी आमदनी हो रही है. उन्होंने अपनी बागवानी में आम, लीची, अमरुद के साथ-साथ कई फलों के पौधे लगाये हैं और इससे लाभ भी कमा रहे हैं. इनकी इस पहल से गांव के एक दर्जन लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. आसपास के किसान इनसे प्रभावित होकर पेड़-पौधे लगाने लगे हैं.
रिश्तेदार से मिला आइडिया:
प्रभात खबर से बातचीत में किसान दिलीप सिंह ने बताया कि पारिवारिक कार्यक्रम में एक रिश्तेदार के यहां गये थे. खेती पर चर्चा के दौरान रिश्तेदार ने आम का बागीचा लगाने की सलाह दी. उन्होंने बताया कि आम के उत्पादन से अच्छा मुनाफा ले सकते है. उनसे प्रभावित होकर गांव की 13 बीघा जमीन पर विभिन्न प्रजाति के आम के पौधे लगा दिये. लगातार तीन साल तक देखभाल करने के बाद सभी आम के पौधे तैयार हो गये और अब फल भी देने लगा है.आम की खेती में प्रत्येक साल होता है मुनाफा:
किसान दिलीप सिंह ने बताया की पारंपरिक खेती के अलावा फलों के पौधे अन्य किसानों को भी लगाना चाहिये. इससे अच्छी खासी आमदनी होती है. आम बागीचा लगाने से किसी प्रकार का घाटा नहीं होता है. पौधा को अच्छे से देखभाल करने की आवश्यकता होती है. अगर पौधों की अच्छे से देखभाल की जाये, तो प्रत्येक साल फलन होता है.विभिन्न जिलों में है इनके बागीचे की आम की डिमांड:
किसान दिलीप सिंह ने बताया की अभी उनके बागीचे में मलिका, गुलाबखास, बमबई, जर्दालू, मालदा, सिंदुरिया, आम्रपाली समेत विभिन्न प्रजाति के आम के पेड़ हैं. उनके बागीचे के आम की पटना, भागलपुर, मुंगेर, दानापुर, समस्तीपुर समेत विभिन्न जिलों व जगहों पर काफी डिमांड है.उन्होंने बताया कि पहले अपनी पुश्तैनी जमीन पर धान, गेहूं, चना, मक्का, बाजरा आदि का उपज करते थे. मुनाफा नहीं होने से स्थिति ऐसी हो जाती थी कि पूंजी तक वापस नहीं लौट पाती थी. ऐसे में हमने आम की खेती पर भरोसा किया और 10 साल पहले इसकी शुरुआत की. आज 13 बीघा में आम के पेड़ लगा कर पांच लाख रुपये सालाना कमा रहा हूं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है