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अलग-अलग विश्वविद्यालयों में अतिथि शिक्षकों को आंतरिक स्रोत से नहीं हो सका सैलरी का भुगतान

राजभवन-सरकार के साथ-साथ विश्वविद्यालयों की लड़ाई में विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में तैनात अतिथि शिक्षकों का भविष्य अधर में फंस गया है.

सरकार व विवि की लड़ाई में फंसा अतिथि शिक्षकों का भविष्य

संवाददाता, पटना

राजभवन-सरकार के साथ-साथ विश्वविद्यालयों की लड़ाई में विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में तैनात अतिथि शिक्षकों का भविष्य अधर में फंस गया है. राज्य सरकार की ओर से जहां एक वर्ष का अतिथि शिक्षकों का वेतन नहीं दिया गया है, वहीं विश्वविद्यालयों की ओर से भी आंतरिक स्रोत से किसी तरह चार-पांच महीनों का वेतन किसी-किसी विश्वविद्यालयों में दिया गया है. इसमें भी कई विश्वविद्यालयों ने कॉलेजों के ऊपर ही भुगतान करने का आदेश दिया था, इस कारण इन शिक्षकों को पूरा भुगतान भी नहीं मिला है. अब एक जून से जीरो सेशन होने के कारण उनका एक्सटेंशन भी कई विश्वविद्यालयों में फंसा है. राजधानी के पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय में अब तक एक्सटेंशन को लेकर अतिथि शिक्षकों की एप्रेजल रिपोर्ट मंगाने को लेकर पत्र भी कॉलेजों को नहीं भेजा गया है. बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा ने अतिथि शिक्षकों को हटाने का आदेश जारी किया था, लेकिन बाद में दोबारा आदेश जारी कर उनके एक्सटेंशन प्रक्रिया आरंभ करने की कार्रवाई आरंभ कर दी गयी. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार जल्द ही एक्सटेंशन को लेकर विचार किया जायेगा.

संकट में अतिथि शिक्षक

राज्य सरकार की ओर से सभी विश्वविद्यालयों को आंतरिक स्रोत से अतिथि शिक्षकों को वेतन देने का निर्देश दिया था, लेकिन विश्वविद्यालयों की ओर से राशि का अभाव बता कर इनका भुगतान नहीं किया गया. विश्वविद्यालयों में अब इस बात की चिंता सता रहा है कि यदि दोबारा इनका एक्सटेंशन कर दिया जाये और सरकार से वेतन नहीं मिला तो इन्हें कैसे मानदेय दिया जायेगा. बिहार राज्य विश्वविद्यालय अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ सतीश दास ने राज्य सरकार से अविलंब भुगतान जारी करने तथा विश्वविद्यालयों से सभी को एक्सटेंशन करने की मांग की है. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के डॉ रवि ने बताया कि यहां के अतिथि शिक्षक पहले से ही आर्थिक तंगी में चल रहे है. इसके बाद विश्वविद्यालय की ओर से अब तक एक्सटेंशन प्रक्रिया नहीं होने से भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है. कई शिक्षक दूसरी जगह नौकरी छोड़ कर यहां सेवा दे रहे है, ऐसे में उनके कैरियर का क्या होगा.

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