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बिहार में बैंकों का एनपीए राष्ट्रीय औसत से अधिक

बैंक और सरकार की पहल से बिहार में बैंकों का गैर निष्पादन परिसंपत्तियां (एनपीए) लगातार कम हो रही हैं. फिर यहां एनपीए राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है.

कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक 21 फीसदी के करीब एनपीए,एमएसएमइ सेक्टर में यह 9.45 फीसदी

संवाददाता,पटना

बैंक और सरकार की पहल से बिहार में बैंकों का गैर निष्पादन परिसंपत्तियां (एनपीए) लगातार कम हो रही हैं. फिर यहां एनपीए राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है.एनपीए का राष्ट्रीय औसत पिछले साल करीब तीन फीसदी था,वहीं बिहार में यह 8.57 फीसदी के करीब है.जून 2022 में राज्य में बैंकों का एनपीए 11.50 फीसदी था, जो जून 2023 में कम होकर 9.05 फीसदी रह गया.यानी एनपीए में करीब दो फीसदी से अधिक कमी आयी है.कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक एनपीए है.बिहार में यह 21 फीसदी के करीब है, तो राष्ट्रीय आंकड़ा सात फीसदी का है.वहीं, एमएसएमइ सेक्टर में भी एनपीए 9.45 फीसदी के करीब है.एनपीए की वसूली में मदद के लिए बैंकों ने राज्य स्तरीय बैंकिंग समिति के माध्यम से राज्य सरकार से आग्रह किया है.आने वाले दिनों में बैंक ऋण वापस करने के लिए लोगों को जागरूक भी करेगा.

एनपीए अधिक होने के कारण कृषि क्षेत्र में ऋण देने में बैंक करता है आनाकानी

बैंक बिहार में ऋण देने से परहेज करता है, जबकि यह प्राथमिक सेक्टर में आता है और राज्य सरकार लगातार बैंकों पर ऋण वितरण बढ़ाने का दबाव देती रहती है, लेकिन बैंक बिहार में ऋण देने में ‘गो स्लो’ की नीति पर काम करते रहता है.अगर बात केवल कृषि ऋण की करें, तो स्थिति और भी खराब है. बिहार में 30 सितंबर, 2023 तक कृषि ऋण मद में करीब 34574 करोड़ आउट स्टैंडिंग था.किसानों के लिए कैश मुहैया करवाने का सबसे सहूलियत साधन किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की स्थिति और भी खराब है.केसीसी में करीब 42.56 फीसदी एनपीए है.

बिहार में एनपीए की स्थिति

बैंक कुल ऋण कुल एनपीए एनपीए %

कॉमर्शियल बैंक 221349 14570 6.58

को-ऑपरेटिव बैंक 3447 346 10.03

ग्रामीण बैंक 24670 6954 28.19

स्माल वित्त बैंक 7727 162 2.09

कुल 257193 22032 8.57

(सभी आंकड़े सितंबर 2023 तक हैं और राशि करोड़ में है )

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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