धनबाद.
रविवार को अपरा एकादशी पर भक्तों ने भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर परिवार में सुख-शांति की कामना की. साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं और हर तिथि को अलग-अलग नाम से जाना जाता है. ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से अनजाने में किये पापों से मुक्ति मिलती हैं. इस अवसर पर साधकों ने सुबह स्नान कर भगवान विष्णु का जल से अभिषेक किया. पीले फूल विष्णु भगवान को अर्पित कर घी का दीपक जलाया. विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप किया. व्रत की कथा सुनी. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को करना चाहिए.शनि जयंती, वट सावित्री पूजा छह को :
छह जून को शनि जयंती है. इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहते हैं. हिन्दू धर्म और ज्योतिष में सूर्य देव के पुत्र भगवान शनि को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. शनि देव को न्याय का देवता माना गया है, जो कर्म फल के दाता हैं. ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनायी जाती है. वहीं छह जून को ही सुहागिनों का पावन त्योहार वट सावित्री पूजा भी है. इसे लेकर नवविवाहिताओं में उत्साह है. सुहागिनें पति की लंबी आयु व अखंड सुहाग के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं. वट वृक्ष के नीचे वट सावित्री कथा सुनकर फेरे लेती हैं. एक-दूसरे को सिंदूर लगा सदा सुहागन रहने का आशीष मांगती हैं. वट सावित्री पूजा के लिए बाजार में बांस का पंखा व लहठी की खरीदारी की जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है