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Repo Rate: लोन सस्ता या महंगा करेगा आरबीआई, रेपो रेट पर फैसला 7 जून को

Repo Rate: भू-राजनीतिक तनाव की वजह से भारत समेत दुनिया भर में महंगाई तेजी से बढ़ रही है. इस चुनौतीपूर्ण महौल में आरबीआई को महंगाई के स्तर पर किसी भी सूरत में 4 फीसदी के स्तर पर कायम रखना है, जिसमें वह कामयाब नहीं हो रहा है.

Repo Rate: देश में 18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के नतीजे 4 जून 2024 को घोषित कर दिए जाएंगे और ठीक उसके एक दिन बाद 5 जून 2024 से देश में रेपो रेट तय करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधीन कार्यरत मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक शुरू हो जाएगी. अब इस बैठक में हुए मंथन के बाद आरबीआई आम आदमी के लोन को महंगा करेगा, घटाएगा या फिर उसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं करेगा, इसका फैसला 7 जून को किया जाएगा. हालांकि, संभावना यह जाहिर की जा रही है कि महंगाई और भू-राजनीतिक में व्याप्त तनाव की वजह से आरबीआई फिलहाल रेपो रेट में किसी प्रकार के बदलाव करने की जोखिम नहीं उठाएगा.

फरवरी 2023 से रेपो रेट में बदलाव नहीं

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव की वजह से भारत समेत दुनिया भर में महंगाई तेजी से बढ़ रही है. इस चुनौतीपूर्ण महौल में आरबीआई को महंगाई के स्तर पर किसी भी सूरत में 4 से 4.5 फीसदी के स्तर पर कायम रखना है. वहीं, केंद्रीय बैंक ने फरवरी 2023 से रेपो रेट में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. अब अगर आरबीआई 5 जून से होने वाली एमपीसी की बैठक में रेपो रेट में बढ़ोतरी करने या उसे घटाने का जोखिम उठाता है, तो दोनों ही स्थिति में खुदरा और थोक महंगाई को हवा मिल सकती है. यदि सात जून को ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया जाता है, तो यह यथास्थिति बनाए रखने का आठवां मौका होगा.

महंगाई चिंता का विषय

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि पिछली नीति के बाद से आर्थिक स्थितियां काफी हद तक अपरिवर्तित बनी हुई हैं. उन्होंने कहा कि पीएमआई और जीएसटी कलेक्शन जैसे उच्च आवृत्ति संकेतक दिखाते हैं कि आर्थिक वृद्धि सही दिशा में जा रही है. उन्होंने कहा कि महंगाई पर चिंता बनी हुई है और गर्मी ने विशेष रूप से सब्जियों की कीमतों को प्रभावित किया है.

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रेपो रेट में बदलाव की संभावना नहीं

उद्योग मंडल एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने भी उम्मीद जताई कि एमपीसी बैठक में रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने की उम्मीद है, क्योंकि खुदरा महंगाई 4 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है. उन्होंने कहा कि हालांकि, महंगाई में कमी आने लगी है, लेकिन सितंबर में मानसून सत्र खत्म होने के बाद ही व्यापक आर्थिक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. वहीं, इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि हाल के महंगाई के आंकड़ों और खाने-पीने की चीजों की कीमतों के पूर्वानुमान से लगता है कि यथास्थिति बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों ने इस बात की पुष्टि की है.

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