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Narendra Modi: पीएम मोदी के लिए आसान नहीं होगा अगला कार्यकाल, इन चुनौतियों का करना होगा सामना

Narendra Modi: लोकसभा चुनाव 2024 में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी की अगुआई में एनडीए सरकार बनाने की तैयारी में है. एनडीए को 292 सीटें मिली, तो इंडिया गठबंधन को 234 सीटें मिली हैं.

Narendra Modi: नरेंद्र मोदी की अगुआई में एनडीए ने 400 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन उस दावे को पूरा करने में सफल नहीं रहे. दूसरी ओर इंडिया गठबंधन ने मौजूदा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और अपने लक्ष्य 295 सीटों के करीब पहुंचे. अब सवाल है कि केंद्र में किसकी सरकार बनेगी. एक और एनडीए के पास बहुमत है, तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन भी दावा ठोक रही है. केंद्र में अगर तीसरी बार नरेंद्र मोदी सरकार बनती है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अगले पांच साल सरकार चलाना बड़ी चुनौती होगी.

मोदी के लिए गठबंधन सरकार चलाना आसान नहीं

नरेंद्र मोदी अबतक बहुमत की सरकार चलाते रहे हैं. लेकिन अगले पांच साल उन्हें गठबंधन की सरकार चलाने की बड़ी चुनौती होगी. गठबंधन के नेताओं को साथ लेकर चलना उनकी भावनाओं को समझते हुए फैसले लेना, ये आसान नहीं होने वाला है. पिछले दो टर्म में मोदी की अगुआई में बीजेपी ने 2014 में 282 और 2019 में 303 सीटें जीती थी. वैसे में गठबंधन हो या न हो, इसका सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा. 2001 में जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे, तब भी वो बहुमत के साथ सरकार में थे. इसलिए उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन 2024 में बीजेपी के खाते में केवल 240 सीटें आयी हैं, वैसे में मोदी को कोई भी फैसले लेने से पहले गठबंधन के साथी दलों को भी भरोसे में लेना होगा.

गठबंधन की सरकार चलाने में माहिर थे पूर्व पीएम वाजपेयी

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को गठबंधन सरकार चलाने का सबसे अच्छा अनुभव था. 1996 में 13 पार्टियां मिलकर संयुक्त मोर्चा सरकार (NDA) बनी थी. एचडी देवगौड़ा पहले प्रधानमंत्री बने, फिर इंद्र कुमार गुजराल ने भी गबठंधन की सरकार चलायी. 1998 में वाजपेयी की सरकार आई और उन्होंने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) बनाई. 1999 से 2004 के बीच वाजपेयी जी ने 20 दलों को साथ मिलाकर सरकार बनाई. उन्होंने जयललिता, मायावती, जयाजेटली और ममता बनर्जी को अपने साथ मिलाया.

नीतीश कुमार और नायडू मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती

नरेंद्र मोदी अगर तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते हैं, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को साथ मिलाकर चला होगा. नायडू और नीतीश के रिश्ते नरेंद्र मोदी के साथ बहुत अच्छे नहीं रहे हैं. दोनों सरकार के हिस्से में रहे हैं, लेकिन अलग भी हुए.

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