अयोध्या: राम नगरी अयोध्या (Faizabad Lok Sabha) बीजेपी की हार के सबसे ज्यादा चर्चा है. यहां से समाजवादी पार्टी के अवेधश प्रसाद ने जीत हासिल की है. उन्होंने बीजेपी के दो बार के सांसद लल्लू सिंह को हराया है. 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा और हम उनको लाएंगे जो राम लाए हैं जैसे नारों के बावजूद जमीनी नेता अवधेश प्रसाद की जीत के बहुत से निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. साथ ही बीजेपी की हार के जवाब भी तलाशे जा रहे हैं.
एजेंडे के आगे स्थानीय निवासियों की अनदेखी
बीजेपी के एजेंडे में हमेशा से अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) रहा है. इसी के चलते सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहली बार यूपी की सत्ता संभालने के बाद 6 नवंबर 2018 को फैजाबाद जिले (Faizabad Lok Sabha) का नाम बदलकर अयोध्या किया था. फिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और राम मंदिर शिलान्यास का भव्य कार्यक्रम किया गया. इसके बाद 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम भी हो गया. देश-विदेश से लोग राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पहुंचे. 500 साल बाद राम मंदिर को टेंट से निकालकर भव्य राम मंदिर में लाने की बीजेपी को बहुत सराहना मिली.
अधिकारियों ने भी नहीं बतायी सच्चाई
बताया जा रहा है कि लेकिन भव्य राम मंदिर और अयोध्या (Ayodhya News) को दिव्य बनाकर चमकाने की कवायद में गरीबों और वहां के स्थानीय निवासियों की अनदेखी हो गई. सड़कों के चौड़ीकरण और विकास की कीमत वहां के निवासियों को चुकानी पड़ी. उनकी रोते-बिलखते कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हैं. बताते हैं कि ये सब अचानक नहीं हुआ. स्थानीय लोगों की नाराजगी लंबे समय से चल रही थी. लेकिन अधिकारियों ने सत्ता तक ये नाराजगी पहुंचने नहीं दी. सभी अधिकारी गुड गुड की रिपोर्ट सीएम कार्यालय को देते रहे.
स्थानीय निवासियों की नाराजगी पर नहीं दिया ध्यान
जबकि नजर डालें तो अयोध्या (Ayodhya News) के जो निवासी वहां के प्रशासन और सरकार से नाराज थे, वो लगातार लखनऊ पहुंच रहे थे. जब उनकी आवाज 5 कालीदास मार्ग और लोकभवन तक नहीं पहुंची तो वो धीरे-धीरे विक्रमादित्य मार्ग स्थित समाजवादी पार्टी के कार्यालय पहुंचने लगे. इसमें उनकी अगुवाई की समाजवादी पार्टी के युवा नेता और अयोध्या से विधायक रहे पवन पांडेय ने. अखिलेश यादव के संघर्ष के दिनों के साथी पूर्व विधायक पवन पांडेय अयोध्या के परेशान और दु:खी नागरिकों के संदेश वाहक बने. उन्हें लेकर समाजवादी पार्टी के कार्यालय पहुंचे. कई बार अखिलेश यादव से उनकी बात कराई. यहां तक कि उनकी आवास उठाने के लिए समाजवादी पार्टी ने प्रेस कांफ्रेंस भी की.
जमीनों को अधिग्रहण लेकिन मुआवजे को लेकर फंसा पेंच
बताया जा रहा है कि अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट हो या फिर अन्य विकास कार्य, स्थानीय लोगों जमीन इनमें गई. लेकिन मुआवजा देने में अनियमिततताएं बरती गई. इसको लेकर भी समाजवादी पार्टी कार्यालय में कई प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया. लेकिन अयोध्या के लोगों की आवाज सरकार तक नहीं पहुंची. पूर्व विधायक पवन पांडेय इन परेशान लोगों से लगातार जुड़े रहे. इनका साथ मिल्कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद ने दिया. अयोध्या में कई किसानों ने तो इसको लेकर जल सत्याग्रह भी किया था.
अयोध्या में अधिकारियों-नेताओं का जमीन घोटाला
यहीं नहीं अयोध्या में राम मंदिर का फैसला आने के बाद जमीन घोटाला भी हुआ. अधिकारियों व नेताओं ने विकास के नाम पर जमीनों की बंदरबांट की. आरोप लगा था कि अधिकारियों ओर नेताओं ने अपने रिश्तेदारों के नाम जमीनें खरीदी हैं. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इसको लेकर आवाज भी उठायी थी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसके जांच के आदेश भी दिए थे. जमीन खरीद में जिन अधिकारियों के नाम सामने आए उनका तबादला भी किया गया था. लेकिन अभी इसकी आंच यूपी सरकार को तपा रही है.