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अयोध्या ने दिया सही जनादेश : शंकराचार्य

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बुधवार को पुरी के पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने विस्फोटक बयान देते हुए कहा कि केंद्र को अयोध्या की जनता ने अपने मताधिकार के प्रयोग से सही जवाब दिया है. केंद्र ऐसे ही जनादेश का पात्र है. शंकराचार्य ने यहां तक कह दिया कि प्रधानमंत्री को अयोध्या में नवनिर्मित राममंदिर का उदघाटन नहीं करना था.

बोलपुर.

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बुधवार को पुरी के पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने विस्फोटक बयान देते हुए कहा कि केंद्र को अयोध्या की जनता ने अपने मताधिकार के प्रयोग से सही जवाब दिया है. केंद्र ऐसे ही जनादेश का पात्र है. शंकराचार्य ने यहां तक कह दिया कि प्रधानमंत्री को अयोध्या में नवनिर्मित राममंदिर का उदघाटन नहीं करना था. शंकराचार्य बुधवार को यहां गीतांजलि सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पधारे. कार्यक्रम के दौरान पुरी के पीठाधीश्वर ने कहा कि देश के इतने ऊंचे पद पर विराजमान व्यक्ति को सार्वजनिक मंच से ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए, जिसमें अभिमान व अहंकार का आभास होने लगे. ऐसी गैरजिम्मेदार बातें कहने के बाद उन पर अंगुलियां उठनी स्वाभाविक हैं. इसलिए जहां राममंदिर बना, वहीं की जनता ने उन्हें अपने जनादेश से चौंका दिया. शंकराचार्य के इस बयान के बाद देश में हलचल मच गयी है. शंकराचार्य के निशाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आये. शंकराचार्य निश्चलानंद मानते हैं कि अयोध्या में नवनिर्मित राममंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा शास्त्रोक्त नियमों के अनुरूप नहीं हुई. संयोग से पुरी के शंकराचार्य उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान में शामिल नहीं हुए थे. शंकराचार्य ने आगे कहा कि राम मंदिर के उद्घाटन में सबकुछ ठीक होता, तो भाजपा अयोध्या में जीत जाती, परंतु वहां भी ऐसा नहीं हुआ. उनके मुताबिक अयोध्या के लोग ही भाजपा से सहमत नहीं हैं. पुरी के पीठाधीश्वर को लगता है कि केंद्र ने कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों से डर कर अयोध्या में नवनिर्मित राममंदिर की आनन-फानन में प्राण-प्रतिष्ठा करा दी, जबकि मंदिर अभी पूरा नहीं बना था. कहीं न कहीं, यह बात हुक्मरानों के मस्तिष्क में थी कि केंद्र में विरोधी दल या दलों की सरकार होगी, तो राम-मंदिर को वहां से हटा दिया जायेगा. शंकराचार्य ने जोर देते हुए कहा कि सत्ता व शक्ति के मद में चूर नेताओं को संत-महात्माओं से नहीं टकराना चाहिए. इसका प्रतिफल (सिला) बंगाल में लंबे समय तक शासन करनेवाले ज्योति बसु के साथ ही लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव झेल चुके हैं. ऊपरवाले की मार बड़ी घातक व गहरी होती है. उससे कोई नहीं बच सकता. उल्लेखनीय है कि पांच से सात जून तक बोलपुर में आनंद वाहिनी के तत्वावधान में राष्ट्र उत्कर्ष सम्मेलन, दीक्षा संस्कार कार्यक्रम और परिचर्चा का आयोजन किया गया है. इसमें बतौर मुख्य अतिथि पुरी के पीठाधीश्वर पधारे हुए हैं.

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