वरीय संवाददाता, भागलपुर सदर अस्पताल में अब परिवार नियोजन के लिए महिलाओं को ओपीडी में ही सबडर्मल इम्प्लांट डिवाइस को लगाया जायेगा. अनचाहे गर्भधारण से बचने के लिए इस अस्थायी साधन को अब तक ऑपरेशन थियेटर में सर्जन डॉक्टर लगाते थे. अब ओपीडी में तैनात डॉक्टरों को यह जिम्मेदारी दी गयी है. सिविल सर्जन डॉ अंजना कुमारी ने सदर अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को निर्देश दिया कि इम्पलांट लगाने के लिए अलग से मिनी ऑपरेशन थियेटर की व्यवस्था करें. दरअसल अस्पताल के सर्जरी करने वाले डॉक्टर पर इमरजेंसी ऑपरेशन का दबाव रहता है. इन डॉक्टरों पर इंप्लांट लगाने का भी दबाव रहता है. ऐसे में बड़े ऑपरेशन के दौरान चूक होने की आशंका बनी रहती है. इसको ध्यान में रख कर इमरजेंसी ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों पर से इम्प्लांट करने की जिम्मेदारी हटा दी गयी. डॉक्टरों ने बताया कि चार सेंटीमीटर लंबी सबडर्मल इम्प्लांट को बांह की त्वचा के अंदर प्रत्यारोपित किया जाता है. इससे लगातार हार्मोन जारी होता है. यह हार्मोन गर्भाशय में ओव्यूलेशन को रोकता है. इससे महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं. यह इम्प्लांट तीन से पांच साल तक सक्रिय रहता है. यह विधि परिवार नियोजन की दूसरी विधि से सरल है. इसमें महिलाओं को कॉपर-टी, बंध्याकरण या दवा का प्रयोग नहीं करना पड़ता है.
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