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राजमहल से निर्वाचित सांसद विजय हांसदा का हर चुनाव में बढ़ता गया जीत का आंकड़ा,

लोकसभा चुनाव 2014 में 41,337 वोट, 2019 में 99,195 वोट व 2024 में 1,78,264 वोटों के अंतर से हासिल किया जीत

बरहरवा. राजमहल लोकसभा (अनुसूचित जनजाति आरक्षित) सीट से पिछले तीन चुनाव से लगातार निर्वाचित सांसद विजय हांसदा का हर चुनाव में जीत का आंकड़ा बढ़ता चला गया. 2014 के चुनाव में वे झामुमो से प्रत्याशी बनाये गये तो उन्हें कुल 3,79,507 मत (कुल वोट का 39.9%) प्राप्त हुआ, वहीं उनके प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू को 3,38,170 मत प्राप्त हुआ. वर्ष 2019 में जब लोकसभा चुनाव हुआ, तो फिर से विजय हांसदा महागठबंधन (झामुमो-कांग्रेस) के प्रत्याशी बनाये गये. इस चुनाव में उन्हें कुल 5,07,830 (कुल वोट का 48.5%) मत प्राप्त हुआ, जबकि दूसरे बार उनके प्रतिद्वंदी रहे भाजपा के हेमलाल मुर्मू को 4,08,635 मत प्राप्त हुआ. वर्ष 2024 के चुनाव से पहले अप्रैल 2023 में हेमलाल मुर्मू ने अपने पुराने घर में वापसी करते हुये भाजपा को अलविदा कह झामुमो का दामन थाम लिया, और फिलहाल वे बोरियो विधानसभा के लिये झामुमो की ओर से लगातार काम कर रहे हैं, क्योंकि वहां पर झामुमो के पार्टी टिकट से चुनाव जीतने वाले लोबिन हेंब्रम बगावत करके इस लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे थे, लेकिन मतदाताओं का साथ नहीं मिला और उन्हें कुल 42,140 मत प्राप्त हुआ. 2024 के लोकसभा चुनाव में विजय हांसदा के प्रतिद्वंदी भाजपा से ताला मरांडी उतरे, तो उन्हें भी शिकस्त झेलनी पड़ी. विजय हांसदा को कुल 6,13,371 (कुल वोट का 50.35%) प्राप्त हुआ तो वहीं ताला मरांडी को 4,35,107 वोट प्राप्त हुआ. लोकसभा चुनाव 2024 में राजमहल के 10 प्रत्याशियों को नोटा से भी कम मिले वोट इस बार के लोकसभा चुनाव में कुल 14 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिनमें सबसे अधिक विजय हांसदा को लगभग 50 प्रतिशत वोट मिला और वे विजयी घोषित हुये. वहीं, नोटा बटन 18,217 मतदाताओं ने दबाया. इस चुनाव के 10 प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट प्राप्त हुये. जिनमें सबसे कम लिली हांसदा को 2,689, मुंशी किस्कू को 2,779, विनोद कुमार मंडल को 3,809, खलीफा किस्कू को 4,107, दीपा टुडू को 6,856, पॉल सोरेन को 7,902, मरियम मरांडी को 8,259, सेबेस्टियन हेम्ब्रम को 9,493, अजीत मरांडी को 11,251, महेश पहाड़िया को 14,978 वोट प्राप्त हुये. वहीं, चौथे स्थान पर रहे सीपीआई (एम) के गोपीन सोरेन को 37,291 जबकि तीसरे पर स्थान पर रहे लोबिन हेम्ब्रम को 42,140 मत प्राप्त हुआ. हेमंत सोरेन और आलमगीर आलम के जेल जाने के बाद आदिवासी व मुस्लिम मतदाताओं ने दिखायी एकजुटता राजमहल संसदीय क्षेत्र के सभी 6 विधानसभा में विजय हांसदा को मिले वोट में सबसे अधिक अंतर 76,720 पाकुड़ विधानसभा से रहा. बरहेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक सह पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक सह मंत्री आलमगीर आलम को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा लैंड स्कैम व टेंडर घोटाला के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज देने के बाद राजमहल संसदीय क्षेत्र के पाकुड़ व बरहेट विधानसभा के साथ-साथ राजमहल, बोरियो, महेशपुर, लिट्टीपाड़ा के इलाके में आदिवासी एवं मुस्लिम मतदाताओं ने काफी एकजुट दिखायी. यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के नेता मतदाताओं को एकजुट कर समझाने में सफल हुये. जिसके बाद आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुटता दिखाई और विजय हांसदा के पक्ष में जमकर वोटिंग किया. इसका नतीजा रहा कि विजय हांसदा बड़े अंतर से जीत हासिल की.

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