प्रतिनिधि, चक्रधरपुर
सिंहभूम की नयी सांसद जोबा माझी ने अपने दिवंगत पति के सपनों को साकार किया है. बहुत कम लोग जानते हैं कि जोबा माझी के दिवंगत पति देवेंद्र माझी ने सिंहभूम संसदीय क्षेत्र से दो बार चुनाव लड़ा था. दोनों बार उन्हें बागुन सुंबरुई के हाथों शिकस्त मिली थी. 2024 में जोबा माझी ने रिकॉर्ड जीत के साथ पति के सपने को पूरा कर दिया. अब देखना है कि जिन आदिवासियों की आवाज देवेंद्र माझी बनना चाहते थे, वह आवाज संसद में जोबा माझी किस तरह बनेंगी.1978 से जंगल आंदोलन का नेतृत्व किया था
दरअसल, देवेंद्र माझी 1978 से जंगल आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे. उनके साथ एक बड़ी टीम थी, जिनमें हाजी नज्म अंसारी, एतवा उरांव, मनोहर मानकी, झाऊ मुंडा, पतरस गुड़िया, शिवचरण होनहागा, सुखराम बरजो, नंदराम बरजो, चंद्र मोहन महतो, सोमा कुम्हार आदि शामिल रहे. देवेंद्र माझी आदिवासियों के स्थापित नेता बन चुके थे. समर्थकों ने उनके नेतृत्व को जन नेतृत्व के रूप में बदलने की सलाह दी. इसके बाद देवेंद्र माझी पहली बार 1980 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव में कूदे. वे 33,287 वोट हासिल कर तीसरा स्थान पर रहे. जनता पार्टी से बागुन सुंबरुई विजेता बने थे. दूसरे स्थान पर कांग्रेस के थियोडर बोदरा (टी बोदरा) रहे थे.दिल्ली में आदिवासियों की आवाज बनना चाहते थे देवेंद्र
देवेंद्र माझी उसी वर्ष 1980 में बिहार विधानसभा के लिए चक्रधरपुर से चुनाव लड़े और विधायक बने. विधायक रहते हुए 1984 में लोकसभा के चुनाव में देवेंद्र माझी निर्दलीय लड़े. इसबार 42,949 वोट पाकर दूसरा स्थान हासिल किया. इस बार कांग्रेस से बागुन सुंबरुई सांसद चुने गये थे. अगले वर्ष 1985 में मनोहरपुर से विधायक चुने गये थे. दरअसल, जोबा माझी के पति देवेंद्र माझी लोकसभा चुनाव जीत कर दिल्ली में कोल्हान के आदिवासियों की आवाज बनना चाहते थे. उनके आंदोलन की बुनियाद ही जल,जंगल और जमीन पर आदिवासियों को हक दिलाना था, जो बिहार सरकार से नहीं मिल पा रहा था. 1994 में उनकी हत्या हो गयी.पति के सपनों को पूरा करूंगी : जोबा
सांसद जोबा माझी ने कहा कि पति के ख्वाब को हकीकत में बदलने में वक्त लगा, लेकिन खुशी है कि सपना अब सपना नहीं रहा. नि:संदेह मैं कोल्हान के आदिवासियों की आवाज दिल्ली के संसद भवन में बनूंगी. अपने शहीद पति की आत्मा को शांति पहुंचाने का काम जरूर करूंगी.45 साल बाद हमारी मेहनत रंग लायी : हाजी नज्म अंसारी
देवेंद्र माझी के साथ राजनीति करने वाले और उनकी हत्या के बाद जोबा माझी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर साथ चलने वाले हाजी नज्म अंसारी कहते हैं कि 45 साल पहले 1980 में हम लोगों ने जो पहल की थी, उसमें सफलता अब मिली है. देवेंद्र बाबू हमेशा कहा करते थे, एक बार दिल्ली गया तो संसद को हिला कर रख दूंगा. कोल्हान के आदिवासियों की उपेक्षा हो रही है, उसका हिसाब चुकता कर दूंगा. अफसोस उन्हें अवसर नहीं मिला था. अब उनकी पत्नी दिल्ली में कोल्हान की आवाज बनेंगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है