फोट़ो. मृतक एएसआई को सलामी देते एसपी परिजनों ने लगाया पुलिस विभाग पर आरोप लोहरदगा: बक्सीडीपा स्थित न्यू पुलिस लाइन में मृतक एएसआइ धर्मेंद्र सिंह को पोस्टमार्टम के पश्चात गार्ड ऑफ ऑनर के साथ श्रद्धांजलि दी गयी. मामला लोहरदगा जिले के सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत रघुटोली में गोली कांड का अंजाम पुलिस जवान के द्वारा दिया गया. घटना की सूचना पर पुलिस अधीक्षक सहित जिले के अन्य पुलिस पदाधिकारी घटना का जायजा लेने घटना स्थल पहुंचे. आरोपी सिपाही अनंत सिंह मुंडा को पुलिस ने लगभग 12 घंटे बाद गिरफ्तार किया.12 घंटे के कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस की टीम ने सिपाही को गिरफ्तार किया, वहीं गिरफ्तार जिला पुलिस बल के जवान सिपाही के पास से इंसास राइफल भी बरामद हुआ. जिससे गोली चलायी गयी. गोली में एएसआई धर्मेंद्र सिंह की मौत घटना स्थल पर हो गयी. हत्या के आरोपी सिपाही दुमका बोकारो से चुनाव ड्यूटी करवा कर वापस लौटा था और नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष बलराम साहू के घर पर परिवार संग भाड़े के मकान में रहता था. घटना बुधवार रात करीब नौ बजे की है.सिपाही अपने कमरे में चिल्लाते हुए गोली मारने की बात कह रहा था. तभी उसे समझाने गये एएसआइ धर्मेंद्र सिंह पर गोली चला दी. गोली एएसआइ के सीने पर लगी जिसके बाद उनकी मौत घटना स्थल पर हो गयी. बताया जा रहा है कि सिपाही की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. काफी मशक्कत के बाद लोहरदगा पुलिस अधीक्षक हारिश बिन जमा और पुलिस की टीम ने सिपाही पर काबू पाया और आरोपी सिपाही को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है. मृतक के परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस विभाग पर सवाल खड़ा करते हुए बताया गोली लगने के कई घंटों तक एएसआई जिंदा थे, लेकिन पुलिस आरोपी को पकड़ने में लगे रहे. अगर आरोपी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. तो उसे ड्यूटी पर क्यों लगाया गया था और राइफल क्यों दिया गया था.मृतक एएसआइ की बहन रूपा सिंह ने आरोपी के विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच करवाने तथा दोषी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की. जबकि मृतक एएसआइ के ससुर देवी सिंह ने पुलिस विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस के इशारे पर मामला को दबाने का प्रयास किया जा रहा है.अगर पुलिस जवान की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, तो ड्यूटी क्यों दिया गया. मृत जवान की पत्नी नीतू सिंह, 20 वर्षीय बेटी गुनगुन कुमारी, बेटा सौम्य कुमार, मां शैल सिंह, भाई राकेश सिंह, विकास सिंह सहित अन्य परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है. मौके पर एसपी हारिश बिन जमा, मेजर शेरू रंजन, सार्जेंट विवेक कुमार, पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष करण सिंह सहित लोहरदगा पुलिस बल के सैकड़ों जवान उपस्थित थे. लोगों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रही पुलिस लोहरदगा. पुलिस के जवान की मानसिक स्थिति खराब और हाथ में इंसास राइफल, सौ से ज्यादा गोलियां और पूरे वातावरण में भय व्याप्त हो, तो सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है कि लोगों ने कैसे रात गुजारी होगी. एसपी कोठी के ठीक बगल में घटना घटी. एक सिपाही ने एक एएसआइ को गोली मार दी और खुद को उसी घर में कैद कर लिया. एएसआइ का शव भी उसी मकान में पड़ा रहा. पूरा पुलिस महकमा परेशान. किसी और की जान न चली जाये. रातभर रणनीति बनायी जाती रही. मकान मालिक और नगरपालिका के पूर्व डिप्टी चेयरमैन बलराम साहू पुलिस की मदद में रातभर जागते रहे. एसपी हारिश बिन जमा, सीआरपीएफ कमांडेंट राहुल कुमार, डीएसपी, थाना प्रभारी, जवान सभी जागते रहे. मुहल्ले के लोगों को घरों के अंदर रहने का निर्देश था. बार बार बाहर से आवाज आ रही थी कि सिपाही को शूट कर दिया जाये, ताकि और आसपास के लोगों और उसी बिल्डिंग में फंसे लोगों की रक्षा हो सके. लेकिन एसपी का कहना था कि मैंने अपना एक बहादुर खो दिया है और उसके बाद अब किसी और की जान न जाये, इसके लिए हमलोग लगे हैं. बुलेटप्रूफ जैकेट पहने एसपी सहित अन्य जवान कई बार उस मकान में जाने के लिए निकले, लेकिन सिपाही की धमकी और अनुभवी अधिकारियों की सलाह के बाद लोग वापस लौट आये और थोड़ी देर बाद फिर वही बात. सुबह होते होते एसपी ने अपनी रणनीति बदली और जवान को भरोसा दिलाया लेकिन जवान चतुराई करता रहा, एसपी ने बगैर बुलेटप्रूफ जैकेट पहने बिल्कुल फिल्मी अंदाज में घर में घुस कर जवान को दबोच लिया और साथ के जवानों ने भी दौड कर इंसास राइफल को अपने कब्जे में ले लिया और 12घंटे की कडी मशक्कत के बाद आपरेशन समाप्त हुआ, लेकिन एक एएसआइ की जान चली गई. सीआरपीएफ और जिला बल के जवानों ने भी कड़ी मेहनत की. शव गलियारे में पड़ा था, सीने में लगी थी गोली लोहरदगा. सिपाही की गोली एएसआइ धर्मेंद्र सिंह के सीने में लगी थी. सिपाही अनंत सिंह मुंडा जब इंसास राइफल ले कर लोगों को जान मारने की धमकी दे रहा था, तो एएसआइ धर्मेंद्र सिंह उसे समझाने गये थे, लेकिन वह समझाने के बजाय उन्हें गोली मार दी और गोली उनके सीने में लगी. जब 12 घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद सिपाही पकड़ा गया और लोग घर के अंदर गये, तो देखा कि एएसआइ धर्मेंद्र का शव गलियारे में पड़ा है. उनके पैरों में चप्पल थी. जमीन पर खून बिखरा था, जो सूख चुका था. गोली मारने के बाद सिपाही अनंत रातभर उसी मकान में घूमता रहा. उसने कई बार शव को देखा, लेकिन उसने कोई संवेदना प्रकट नहीं की . प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि गोली लगने के बाद उनके मुंह से सिर्फ इतना ही निकला… अरे अरे हमको गोली मार दिया. शिव भक्त थे एएसआइ धर्मेंद्र सिंह, हर शिवरात्रि में बनते थे भोलेनाथ लोहरदगा. एएसआई धर्मेन्द्र सिंह बिहार राज्य के निवासी थे और बोकारो मे लंबे अरसे से उनका परिवार रह रहा था. वे भगवान शिव के भक्त थे. हर शिवरात्रि मे वे पुलिस लाईन मे आयोजित पूजा मे बढ़ चढ़कर कर भाग लेते थे. महाशिवरात्रि में वे भोलेनाथ का रुप धारण किया करते थे और काफी उत्साहित रहते थे. वे एक व्यवहारकुशल इंसान थे. सरल स्वभाव के कारण वे सबके चहेते थे. उनकी बहाली अनुकंपा में हुई थी.2018 मे वे सिपाही से एएसआइ बने थे. पत्नी ने रातभर फोन से अपने पति को समझाया लोहरदगा. एसपी साहब ने भरोसा दिया है कि आपका इलाज रांची में करायेंगे, आप अपने बच्चों के खातिर हथियार छोड़ कर बाहर आ जाइये. उसकी पत्नी लगातार रो रही थी. उसके गोद में एक छह माह का बच्चा था. एक बेटी सो रही थी. पुलिस अभिरक्षा में उन्हें उसी मकान से निकाला गया, जहां सिपाही हथियार के साथ खुद को बंद किये हुए था और लोगों को गोली मार देने की धमकी दे रहा था. उस मकान में और भी किरायेदार थे. सभी भयभीत थे. सबों को भय था कि कहीं अनंत सिंह मुंडा उन लोगों पर गोलियां न बरसा दे.उसके पास सौ से ज्यादा गोलियां उपलब्ध थी. एसपी हारिश बिन जमा ने रणनीति तैयार कर वहां से लोगों को निकाला. सभी लोगों को रातभर नगर परिषद के उपाध्यक्ष बलराम साहू के मकान में सुरक्षित रखा गया. गोली मारने वाले सिपाही को एसपी भी लगातार बाहर निकलने के लिए माइक और फोन से बोल रहे थे लेकिन वह लगातार चकमा देता रहा. एसपी का कहना था कि हमारे एक जांबाज एएसआई धर्मेन्द्र की जान चली गई और अब कम से कम दूसरे को जीवित निकाल लें. उसके अपराध की सजा तो उसे जरूर मिलेगी लेकिन ये सजा न्यायालय देगी.
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