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अखंड सौभाग्य व पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं ने की वट सावित्री का व्रत

बगहा अनुमंडल के सातों प्रखंडों में महिलाओं ने भारी संख्या में वट वृक्ष का पूजा अर्चना कर अपने पति की दीर्घायु के लिए कामनाएं की.

बगहा/हरनाटांड़/वाल्मीकिनगर. बगहा अनुमंडल के सातों प्रखंडों में महिलाओं ने भारी संख्या में वट वृक्ष का पूजा अर्चना कर अपने पति की दीर्घायु के लिए कामनाएं की. हिंदू धर्म में महिलाएं पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना में कई व्रत रखती हैं. इनमें एक प्रमुख वट सावित्री का व्रत है, जो ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रखा जाता है. प्रखंड बगहा दो अंतर्गत शहर से लेकर ग्रामीणों क्षेत्र में महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखा. गुरुवार की सुबह महिलाओं ने स्नान कर सज-धज कर विभिन्न मंदिरों में पहुंचकर पूजा अर्चना कर वट वृक्ष की कच्चा सूत का धागा बांध कर पति समेत बच्चे की लंबी उम्र की कामना की. वही वट सावित्री व्रत की कथा सुनी और दिनभर भूखे-प्यासे व्रत रखा. साथ ही पूजन के बाद अपने पति को रोली और अक्षत लगाकर चरण स्पर्श कर प्रसाद वितरित किया. शुक्रवार को फिर पूजा अर्चना करने के बाद महिलाएं अपना व्रत तोड़ेगी. पं. सुबोध मिश्र व पं. अंकित उपाध्याय ने बताया कि सावित्री को भारतीय संस्कृति में आदर्श नारी और पतिव्रता के लिए ऐतिहासिक चरित्र माना जाता है. पति के प्राणों की रक्षा के लिए वह यमराज के पीछे पड़ गई और अपने पति को जीवनदान देने के लिए विवश कर दिया. इस वजह से हर वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है. हिंदू विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं. महिलाएं देवी सावित्री के पति प्रेम और पतिव्रत धर्म को स्मरण कर अखंड सौभाग्य के लिए प्रार्थना करती हैं. शशि पांडेय ने कहा कि भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था. इसलिए वट वृक्ष को ज्ञान, निर्वाण और दीर्घायु का पूरक माना गया है. वही मनीषा देवी, नीतू देवी, माला देवी, फुल कुमारी देवी आदि ने कहा कि देवी सावित्री ने पति के प्राणों की रक्षा के लिए विधि के विधान को बदल दिया था. अपने सतीत्व और कठोर तपस्या से सावित्री ने यमराज को अपने पति सत्यवान के प्राण लौटाने पर विवश कर दिया था. यमराज ने वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान के प्राण लौटाएं थे और वरदान भी दिया था कि जो सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करेंगी वट वृक्ष के आसपास सूत का धागा परिक्रमा के दौरान वट वृक्ष में लपेटेगी सदा सुखी रहेगी. वाल्मीकिनगर प्रतिनिधि के अनुसार. सुहागन महिलाओं ने गुरुवार को वट सावित्री की पूजा श्रद्धा और भक्ति भाव से करते हुए आशीर्वाद मांगा. ऐसा माना जाता है कि सुहागन महिलाओं द्वारा ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत की पूजा की जाती है. मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों में शिव का वास होता है और लटकती शिराओं में सावित्री का निवास है. इस वृक्ष को अनश्वर माना जाता है. इसलिए महिलाएं पति के दीर्घायु और परिवार की समृद्धि के लिए इस व्रत को करती हैं.

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