ब्रेन ट्यूमर डे सहरसा . ब्रेन ट्यूमर में मस्तिष्क की कोशिकाओं व ऊतकों में धीरे-धीरे गांठ बनने लगती है. जिसे ट्यूमर कहा जाता है. जब यह मस्तिष्क के भीतर बनता है तो उसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है. समय पर इसका इलाज नहीं हो तो यह जानलेवा हो सकता है. उक्त बातें वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे की पूर्व संध्या पर श्री नारायण मेडिकल काॅलेज परिसर स्थित निन्ती कार्डियक केयर के डॉ गिरिजा शंकर झा ने कही. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में ब्रेन ट्यूमर का कारगर व बेहतर इलाज उपलब्ध है. लेकिन इसके लिए समय पर इलाज शुरू करना जरूरी है. ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों को नहीं करें नजरअंदाज निन्ती कार्डियक केयर के डॉ गिरिजा शंकर झा ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर के लक्षण दिखें तो डॉक्टर से मिलकर इसकी जांच तुरंत करानी चाहिए. इसके लक्षणों में सिर में लगातार दर्द रहना, बार-बार मिर्गी के झटके आना, हाथ-पैर में कमजोरी महसूस करना, तनाव में आना, याददाश्त कमजोर होना, चिड़चिड़ापन होना, कम सुनायी देना, बोलने में दिक्कत होना, आंखों की रोशनी जाना, बार-बार बेहोश हो जाना शामिल है. इसके लक्षणों को नजरंदाज नहीं करना चाहिए. दो तरह के होते हैं ब्रेन ट्यूमर उन्होंने बताया कि ब्रेन ट्यूमर के दो प्रकार होते हैं. इसमें पहला ब्रेन के ही टिश्यू से बनता है. वहीं दूसरा कहीं और ट्यूमर होने के बाद ब्रेन में फैल जाता है. इस बीमारी का उपचार परीक्षण एवं लक्षणों की जांच के बाद पता चलता है. ब्रेन ट्यूमर का पता सिटी स्कैन, एमआरआई जांच से लगाया जा सकता है. इन दिनों ब्रेन ट्यूमर का प्रारंभिक अवस्था में पता चलने पर संपूर्ण इलाज संभव हो गया है. उन्होंने कहा कि सर्जरी, रेडियो थेरेपी व दवाओं से इस रोग का इलाज होता है. रोगी की स्थिति के अनुसार उपचार किया जाता है. वैसे ब्रेन ट्यूमर के लिए बेहतर व आधुनिक तकनीक आ गया है. जिससे इसका इलाज करना आसान हो गया है. 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले मरीजों में ब्रेन ट्यूमर के कैंसर में बदलने की संभावना ज्यादा रहती है. इसके कारण स्पष्ट नहीं है. लेकिन जेनेटिक फैक्टर एक अहम कारण माना जाता है. फोटो – सहरसा 11- डॉ गिरिजा शंकर झा.
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