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एनीमिया से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी : डा राजेश

मौजूदा समय में खासकर गर्भावस्था में एनीमिया एक गंभीर बीमारी के तौर पर उभरी है. इस दौरान महिलाओं में रक्त की कमी होती है. उचित समय पर इसका इलाज कर गम्भीर परिणाम से जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखा जा सकता है.

किशनगंज.मौजूदा समय में खासकर गर्भावस्था में एनीमिया एक गंभीर बीमारी के तौर पर उभरी है. इस दौरान महिलाओं में रक्त की कमी होती है. उचित समय पर इसका इलाज कर गम्भीर परिणाम से जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखा जा सकता है. इसके लिए जीवनशैली में बदलाव के साथ प्रोटीन और आयरनयुक्त संतुलित आहार के साथ उचित मात्रा में आयरन की गोली खाना आवश्यक है. एक तरफ इस बीमारी से जहां शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होता. वहीं किशोरियों एवं माताओं में कार्य करने की क्षमता में भी कमी आ जाती है. इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए एनीमिया मुक्त भारत’ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है.

प्रसव संबंधी जोखिम को बढ़ाता है एनीमिया

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया परिवार के सदस्यों के दवारा गर्भवती महिलाओं के बेहतर खानपान का प्रबंधन जरूरी है. पोषण माह के मद्देनजर अच्छे पोषण की अहमियत की जानकारी दी जा रही है. एनीमिया के कारण किशोरियों तथा महिलाओं का स्वास्थ्य बहुत अधिक प्रभावी होता है. किशोरियों में एनीमिया होना उनके मां बनने की पूरी प्रक्रिया को जोखिम में डाल देता है. एनीमिया के कारण प्रसव के समय अधिक खून बहना तथा इससे होने वाली मौत मातृ मृत्यु दर का एक बड़ा कारण है. हम अपने आसपास वाली ऐसे खाद्य पदार्थ का चयन करें जिसमें आयरन की अधिक मात्रा होती है. ऐसे खाद्य पदार्थ के बारे में जानकारी लें और इसका इस्तेमाल करें. अंकुरित अनाज में भरपूर आयरन होता है. अंकुरित चना तथा मूंग, राजमा, मटर, बींस, मसूर दाल का सेवन काफी लाभदायक है. आयरन अच्छी तरह से शरीर में अवशोषित हो सके इसके लिए नींबू का सेवन जरूर करें. ध्यान रखें कि चाय या कॉफी से शरीर के आयरन में कमी होती है.

एनीमिया बढ़ाने में मिथ्य की भी है भूमिका

गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया एनीमिया को बढ़ाने में कई मिथ्य की भी भूमिका है. ऐसी मिथ्याओं से बचना चाहिए. उन्होंने बताया एनीमिया होने का एक बड़ा कारण कृमि है. लोगों में यह मिथ्य है कि नंगे पैर चलने से आंखों की रोशनी बढ़ती है लेकिन यह सिर्फ मिथ्या है. नंगे पैर चलने के दौरान हुक वर्म और राउंड वर्म जैसे कृमि शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. यह कृमि रक्त कोशिकाओं को अपना भोजन बनाते हैं. बताया कि विशेषकर गांवों में महिलाएं गौशाला सहित चापाकल के, शौचालय व अन्य गंदी जगहों पर नंगे पाँव जाती हैं. इससे कृमि पैर के संपर्क में आते और शरीर में प्रवेश कर जाते और यह एनीमिया का कारण बनता है. खानपान संबंधी मिथ्याओं पर चर्चा कर बताया कि अमूमन धारणा यह है कि काजू, किशमिश व दूसरी प्रकार के मेवों में ही सबसे अधिक आयरन होते हैं. जबकि सबसे अधिक आयरन गुड़, चुकंदर, पालक साग और खजूर में होता है. यह कम कीमत पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है.

ये हैं एनीमिया के लक्षण

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि एनीमिया का शुरुआती लक्षण थकान, कमजोरी, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन में बदलाव, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द होना, हाथों और पैरों का ठंडा होना, सिरदर्द आदि हैं. ऐसे लक्षण अगर आपको दिखाई दे तो तत्काल अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाएं. डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवा और खानपान लें.

गर्भवती महिलाओं की जांच जरूरी ,आयरन और प्रोटीनयुक्त आहार लें

डा देवेंद्र ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए शरीर में रक्त का निर्माण होते रहना जरूरी होता है. इसमें कमी के कारण एनीमिया होने की प्रबल संभावना रहती है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को नियमित हीमोग्लोबीन, बीपी, सुगर, वजन, समेत अन्य आवश्यक जांच कराते रहना चाहिए.साथ ही एनीमिया से बचने के लिए प्रोटीन युक्त भोजन जैसे- पालक, सोयाबीन, चुकंदर, लाल मांस, मूंगफली, मक्खन, अंडे, टमाटर, अनार, शहद, सेब, खजूर आदि का सेवन करें, जो कि आपके शरीर में खून की कमी को पूरा करता है. इन चीजों का सेवन करते रहने से आप एनीमिया की चपेट में आने से बच सकते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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