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विम्स पावापुरी में मरीजों का इलाज शुरू

भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी के डॉक्टरों ने गुरुवार की देर शाम हड़ताल समाप्त कर दी. हड़ताल समाप्त होते ही अस्पतालों की रौनक लौट आई.

गिरियक. भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी के डॉक्टरों ने गुरुवार की देर शाम हड़ताल समाप्त कर दी. हड़ताल समाप्त होते ही अस्पतालों की रौनक लौट आई. शुक्रवार को विम्स पावापुरी के ओपीडी व इमरजेंसी सेवाएं सुचारू रूप से शुरू हो गयी. अस्पताल के ओपीडी में इलाज कराने के लिए मरीजों की काफी संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी . इलाज के लिए मरीजों ने पहले निबंधन काउंटर पर पंजीयन कराये. इसके बाद पर्ची लेकर बीमारी के इलाज के लिए ओपीडी में डॉक्टर के पास गये. जहां पर डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज किया. इसके बाद रोगी चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार दवा काउंटर पर जाकर दवाइयां भी प्राप्त की. ओपीडी व इमरजेंसी सेवाएं चालू होने से रोगियों में खुशी देखी गयी. क्योंकि पिछले छह दिनों से यहां पर इलाज नहीं हो पा रहा था.नालंदा डीएम शशांक शुभंकर की अध्यक्षता में हुई बैठक हुई. इस बैठक में पावापुरी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सार्विल कुमारी, अधीक्षक अरुण कुमार सिन्हा , नगर पंचायत अध्यक्ष पावापुरी के रविशंकर कुमार उर्फ राजा बाबू, उपाध्यक्ष संजीव कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित रहे . इस बैठक में स्थानीय लोगों के अलावा संस्थान के डॉक्टरों के साथ लंबी वार्ता हुई . बातचीत सकारात्मक निकालने के बाद हड़ताली डॉक्टर 6 दिन के बाद अपने कार्य पर लौट गए. बता दें कि पिछले शनिवार की पूरी गांव निवासी 52 वर्षीय सुनील सिंह की मौत हो गई थी. जिसके बाद परिजनों द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र की मांग की गई लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि सुनील सिंह की मौत अस्पताल में नहीं होकर घर में हुई है. इसके बाद परिजन आक्रोशित हो गए एवं मामला हाथापाई से बढ़कर मारपीट में तब्दील हो गया था. जिससे नाराज डॉक्टर ने अस्पताल का मुख्य द्वार बंद कर इमरजेंसी सहित ओपीडी सेवा का बहिष्कार कर दिया था. इमरजेंसी एवं ओपीडी सेवा बंद रहने से हजारों की संख्या में मरीज एवं उनके परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. . डॉक्टर्स आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गए थे . इसके बाद पावापुरी पुलिस में छापेमारी करते हुए नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया. आरोपियों के गिरफ्तारी के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली. हड़ताल समाप्त होते ही अस्पतालों की रौनक लौट आई. लगातार 6 दिन हड़ताल रहने का कारण इधर ग्रामीणों में भी आक्रोश फैल गया था . आक्रोशित ग्रामीणों एवं स्थानीय दुकानदारों ने भी अपनी दुकान बंद कर दी थीं.

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