30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रेलवे ने आय बढ़ोतरी में किया साइडिंग का उपयोग

रैक आने से ही रेलवे को होती थी राजस्व की प्राप्ति

विनोद सिन्हा, चंद्रपुरा.

दुगदा कोल वाशरी के लिए बनी रेलवे साइडिंग का उपयोग पिछले एक दशक में रेलवे ने अपनी आय बढ़ाने में की है. यह स्थिति दुगदा कोल वाशरी के बंद होने के बाद की गयी. 50 के दशक में जब दुगदा कोल वाशरी की स्थापना हुई तो यहां विभिन्न कोलियरियों से कोयला रेलवे रैक से वाशरी प्लांट आता था और यहां वाश कर रैक से ही विभिन्न प्लांटों में भेजा जाता था. पिछले 15 साल से वाशरी में वाश के लिए कोयला आना बंद हो गया, जबकि 60 से 90 के दशक में दुगदा वाशरी के लिए रेलवे रैक की यहां लाइन लगती थी. हालांकि 60 के दशक में जब चंद्रपुरा पावर प्लांट की स्थापना हुई तो शुरुआती काल में लोहे की पट्टी बनाकर डीवीसी प्रबंधन वाशरी से कन्वेयर बेल्ट के सहारे सीधे अपने प्लांट में कोयला लेता था. जबकि चंद्रपुरा लिंक लाइन से भी उसका कोयला दुगदा साइडिंग में पहुंचता था. यहां सीटीपीएस प्लांट के लिए रिसीविंग यार्ड बनाया गया था और रेलवे रैक इसी यार्ड से चंद्रपुरा प्लांट में घुसता था. प्रतिदिन एक से दो रैक कोयला इस प्लांट को मिलता था. रैक आने से ही रेलवे को राजस्व की प्राप्ति होती थी.

कभी गुलजार रहने वाले साइडिंग में छा गयी थी वीरानगी :

दस साल पूर्व दुगदा वाशरी के बंद होने के बाद जब रैक यहां आना बंद हुआ तो गुलजार रहने वाली रेलवे साइडिंग में वीरानगी छा गयी. दूसरी ओर धनबाद रेल मंडल अंतर्गत रेलवे प्रबंधन को भी इस साइडिंग से राजस्व का नुकसान हो रहा था. रेलवे ने इस साइडिंग का उपयोग अपने आय का स्रोत बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न प्लांटों को कोयला, ड्राई एश व लौह अयस्क भेजने का निर्णय लिया. पिछले दस वर्षों से यहां से विभिन्न प्लांटों को कोयला, लौह अयस्क व ड्राई ऐश भेजा जा चुका है.

चंद्रपुरा प्लांट के ड्राई एश को बाहर भेजना चाह रहा है रेलवे :

चंद्रपुरा प्लांट से पूर्व में भी कई रैक ड्राई एश बंगलादेश भेजा गया है. इससे रेलवे को राजस्व का फायदा हुआ. हालांकि पिछले कई साल से यह बंद है, मगर अब रेलवे फिर से चंद्रपुरा प्लांट से उत्सर्जित ड्राई एश को रैक से बाहर भेजना चाह रहा है. इस बाबत दो माह पूर्व ही रेलवे हाजीपुर के प्रिंसिपल चीफ कॉमर्शियल मैनेजर शिव कुमार प्रसाद और धनबाद मंडल के सीनियर डीसीएम अमरेश कुमार ने प्लांट के परियोजना प्रधान मनोज कुमार ठाकुर से बात की है. चंद्रपुरा प्रबंधन भी चाह रहा है कि यहां से ड्राई एश रैक से बाहर जाने पर कई तरह का फायदा प्लांट को होगा. बता दें कि ड्राई एश से सीमेंट व ईंट बनायी जाती है. इसके अलाव अन्य कई कार्यों में इसका उपयोग होता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें