INTERVIEW: रंग दे बसंती फिल्म के अभिनेता व भोजपुरी फिल्म के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव व उनकी टीम शुक्रवार को प्रभात खबर कार्यालय पहुंची. इस मौके पर अभिनेता खेसारी लाल यादव, निर्माता रौशन सिंह, निर्देशक प्रेमांशु सिंह, अभिनेत्री डायना खान, रति पांडेय, सोनू पांडेय और समर्थ चतुर्वेदी ने रंग दे बसंती फिल्म पर विस्तार से बात की. खेसारी लाल यादव ने कहा कि भोजपुरी की यह पहली फिल्म है, जिसे देश के 265 सिनेप्लेक्स में रिलीज किया गया. यह ऐसी फिल्म है, जिसे हम सभी परिवार के साथ बैठ कर देख सकते हैं. मैंने खुद यह फिल्म बेटी के साथ बैठ कर देखी है.
भोजपुरी फिल्म का निर्माण कम होने के सवाल पर खेसारी ने कहा कि कोरोना के बाद से बड़ी बजट की फिल्में फेल होने लगी, इसका प्रभाव भोजपुरी फिल्म पर भी पड़ा, लेकिन भोजपुरी फिल्मों का भविष्य सुखद है. खेसारी लाल यादव ने कहा कि रंग दे बसंती फिल्म का टिकट 99 रुपये रखा गया है, इसका उद्देश्य है कि हर आदमी फिल्म देखे. उन्होंने कहा कि सरकार भोजपुरी फिल्मों के प्रोत्साहन के लिये थियेटर का विकास करे.
फिल्म में तकनीक से नहीं किया समझौता
निर्देशक प्रेमांशु सिंह ने कहा कि रंग दे बसंती फिल्म में तकनीक से समझौता नहीं किया है. बड़े बजट की हिंदी फिल्मों में जो तकनीक अपनायी जाती है, वैसी ही तकनीक इस फिल्म के निर्माण में भी इस्तेमाल किया गया है. इसे एक साथ 18 राज्यों में रिलीज किया गया है. फिल्म निर्माण में कहीं भी बजट से समझौता नहीं किया गया है.
प्रेमांशु सिंह ने कहा कि वेब सीरीज भी अब भोजपुरी में बनने लगी है, इसकी शुरुआत हो चुकी है. दक्षिण के लोग अपनी भाषा को कितना प्रमोट करते हैं, यह वहां की फिल्में बताती है. हम लोगों को भी अपनी भाषा को प्रमोट करने के लिये भोजपुरी फिल्में देखनी होगी. उन्होंने कहा कि भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता का अब कोई मुद्दा नहीं है. लोग नाहक भोजपुरी को बदनाम करते हैं. ओटीटी पर हिंदी में किस तरह की चीजें आ रही हैं, कौन नहीं जानता. कई हिंदी फिल्मों में भी अश्लीलता चरम पर होती है, लेकिन भोजपुरी फिल्में बची हुई हैं. यह परिवार के साथ देखी जा सकती है. भोजपुरी भाषा के प्रति प्रेम रखने वालों के लिये यह फिल्म पूरे देश में एक साथ रिलीज की गयी है.
भोजपुरी से प्रेम के कारण बनायी फिल्म
निर्माता रौशन सिंह ने कहा कि इस फिल्म के मेकिंग में जितना रुपया खर्च किया गया है, उतने में वे हिंदी फिल्म भी बना सकते थे, लेकिन भोजपुरी भाषा से प्रेम के कारण उन्होंने इस भाषा में फिल्म बनायी है. रौशन सिंह ने कहा कि भोजपुरी फिल्मों में काफी बदलाव आया है. यह ठीक है कि पहले भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता का ठप्पा लगा, लेकिन यह काफी समय पहले की बात है. अब भोजपुरी फिल्में हिंदी फिल्मों के समानांतर बन रही है. रंग दे बसंती फिल्म इसका उदाहरण है. इसे देखकर भोजपुरी फिल्मों के प्रति जो नजरिया है, वह दूर हो जायेगा.