16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जेएसएलपीएस से प्रशिक्षण लेकर सूप-डलिया बनाकर स्वावलंबी बन रही हैं सखी दीदीयां

जेएसएलपीएस से जुड़ने के बाद महेशपुर प्रखंड के पोखरिया गांव की महिलाओं की तस्वीर बदल गयी है. अब महिलाएं बांस से सामग्री बनाकर बेहतर दामों में बेचकर खुशहाल जिंदगी जी रही हैं.

देवब्रत दास, महेशपुर झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) से जुड़ने के बाद महेशपुर प्रखंड के पोखरिया गांव की महिलाओं की तस्वीर बदल गयी है. जहां रोजगार के अभाव में महिलाओं व पुरुषों का पलायन और हड़िया बेचने की हालत थी. लेकिन अब महिलाएं बांस से सामग्री बनाकर उसे बेहतर दामों में बेचकर खुशहाल जिंदगी जी रही हैं. महेशपुर प्रखंड के पोखरिया गांव में आजीविका का मुख्य साधन कृषि है. यहां की 90 फीसदी आबादी कृषि पर ही निर्भर करती है. वहीं 10 प्रतिशत लोग सिर्फ मजदूरी पर निर्भर थे. इस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. फिर जेएसएलपीएस के सहयोग से महिलाओं ने सखी मंडल का गठन किया. उसके बाद महिला समूह की दीदीयों को बांस से सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. पोखरिया गांव निवासी सखी दीदी ताला मोहलीन प्रशिक्षण के बाद फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़ी. इसके बाद ताला मोहलीन ने हाट-बाजार व चौक-चौराहों पर हड़िया दारू बेचने का काम छोड़कर फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़कर दो क़िस्त में 25 हजार रुपये ऋण लेकर सूप व डालिया समेत अन्य बांस की सामग्री बनाकर स्वावलंबी बन रही है. साथ ही सखी दीदी के पति भी इस कार्य में सहयोग करते हैं. जहां सूप, डलिया, झाड़ू बनाकर मासिक आय करीब 9 से 10 हजार रुपये तक कर रहे हैं. वहीं जेएसएलपीएस के कर्मी यंग प्रोफेशनल राहुल कुंडू व ब्लॉक लीड राजेश कुमार महतो ने जानकारी देते हुए बताया कि जेएसएलपीएस से जुड़ने के बाद महिलाएं हड़िया दारू बेचने का कार्य बंद कर सूप-डलिया, झाड़ू आदि बनाकर अच्छा खासा पैसा कमा रही है. बताया कि सखी दीदी ताला मोहलीन पहले चौक-चौराहों पर बैठ- बैठकर हड़िया दारू बेचने का काम करती थी. जहां दीदी ताला मोहलीन को लोगों द्वारा अभद्र भाषाओं का सामना करना पड़ता था. लेकिन जेएसएलपीएस से जुड़ने के बाद दीदी ताला मोहलीन को 25 हजार रुपये दो किस्तों में दिये गए. सूप-डलिया बनाकर अच्छा रोजगार कर रही है. दीदी ताला मोहलीन अब तक 25 हजार में 7 हजार रुपये लौटा चुकी है. वे इस व्यवसाय को बढ़ाना चाहती है. बताया कि सखी दीदियों को देखकर और भी महिलाएं इस कार्य से जुड़ रही हैं और स्वावलंबी बन कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें