मुजफ्फरपुर. सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बेहद लचर हैं. यहां इलाज भगवान भरोसे होता है. मरीज को डॉक्टर ने देखा तो ठीक, अन्यथा उसे एक विभाग से दूसरे विभाग में घंटों दौड़ाया जाता है. आखिर में वह थक-हारकर प्राइवेट या अन्य अस्पताल में इलाज के लिए रूख कर लेते हैं. हालिया मामले में एक युवक घंटों इलाज की आस में दर्द से तड़पता रहा. पर उसे राहत दिलाने में किसी भी स्तर पर जब मदद नहीं मिली तो अंत में उसने सीएस से शिकायत की. इमरजेंसी में शनिवार दोपहर 12 बजे आंख में चोट लगने के कारण दर्द से बेहाल युवक पहुंचा. काफी देर तक डॉक्टर जब उसे देखने नहीं पहुंचे तो परिजन स्वास्थ्य कर्मी से पर्ची बनाने की बात कही. कहा कि वह ओपीडी में दिखा लेंगे. स्वास्थ्यकर्मी ने डॉक्टर के आने पर ही पर्ची बनाने की बात कहते हुए इसे टाल दिया. तकलीफ बढ़ती देख मरीज के परिजन सीएस कार्यालय पहुंच गये. सीएस डॉ अजय कुमार से शिकायत की. सीएस ने इसपर संज्ञान लिया. वे चैंबर से उठे और इमरजेंसी पहुंच गये. सीएस ने कर्मी से पूछा कि किस डॉक्टर की ड्यूटी है? जब वे नहीं आए हैं तो पर्ची क्यों नहीं बनायी गयी? इसपर कर्मी सकपका गया. इस लापरवाही पर सीएस ने डॉक्टर व कर्मी दोनों के वेतन पर रोक लगा दी है. उनसे स्पष्टीकरण देने को कहा है. सीएस ने तत्काल मरीज की पर्ची बनाते हुए उसे आंख के ओपीडी में भेजा. इस दौरान इमरजेंसी में पहुंचे अन्य मरीजों को ओपीडी में जाकर दिखाने की बात कही. सीएस के सामने ही कई खामियां उजागर हुईं. ओपीडी में जहां डॉक्टर नहीं आए थे वहीं कर्मी पर्चा बनाने में भी आनाकानी कर रहे थे.
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