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रुकने का नाम नहीं ले रहा माइका का अवैध उत्खनन

गावां प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध माइका उत्खनन के दौरान हो रही मौतों के बावजूद इसपर रोक नहीं लग पा रही है. वर्तमान में इस कार्य में कई माफिया सक्रिय हैं जो भोले-भाले मजदूरों को बहला-फुसला कर मौत की सुरंग में भेजकर उनसे अवैध उत्खनन का कार्य करवाते हैं.

समस्या. पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई होती है, पर फिर शुरू हो जाता है गोरखधंधा

मशीनों व विस्फोटकों का होता है उत्खनन में प्रयोग

गावां.

गावां प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध माइका उत्खनन के दौरान हो रही मौतों के बावजूद इसपर रोक नहीं लग पा रही है. वर्तमान में इस कार्य में कई माफिया सक्रिय हैं जो भोले-भाले मजदूरों को बहला-फुसला कर मौत की सुरंग में भेजकर उनसे अवैध उत्खनन का कार्य करवाते हैं.

कभी विख्यात था सर्वोत्तम क्वालिटी के माइका के लिए : क्षेत्र के सुदूर वन क्षेत्रों में रोजगार का साधन नहीं होने के कारण गरीबी का दंश झेल रहे लोग माइका माफियाओं के झांसे में आसानी से आ जाते हैं. इस दौरान अप्रिय वारदात होने पर डरा-धमकाकर व प्रलोभन देकर पीड़ित परिवारों का मुंह बंद कर देते हैं. प्रखंड के जंगलों में इस समय उत्तम कोटि के माइका का भंडार है. लगभग तीन दशक पूर्व यह कार्य लीज पर किया जाता था. बाद में सभी का लीज समाप्त कर क्षेत्र में खनन प्रतिबंधित कर दिया गया. बावजूद इसके चोरी-छुपे यह कार्य चलता रहा है. प्रखंड में संचालित बैंड्रो माइंस पूरे देश में जानी जाती थी. यह विश्व के सर्वोत्तम क्वालिटी के माइका के लिए भी विख्यात था.

लंबे समय से चल रहा अवैध कारोबार : इस समय प्रखंड के चरकी, तराई, हरलाघाटी, जमडार, बादीडीह आदि स्थानों में अवैध उत्खनन किया जा रहा है. जमडार पुलिस पिकेट से लगभग तीन किमी दूर असुरहड्डी नामक गांव के पास स्थित पहाड़ी से नीले रंग के कीमती पत्थरों के साथ माइका का खनन भी लंबे समय से चल रहा है. उक्त स्थल पर कई बार छापेमारी की गयी, पर यह गोरखधंधा दुबारा शुरू हो जाता है.

मशीनों व विस्फोटकों का होता है प्रयोग : प्रखंड के कई स्थानों में खनन के दौरान मशीनों व विस्फोटकों का भी प्रयोग होता है. 26 मई को विभागीय टीम के द्वारा प्रखंड स्थित एक खदान से भारी मात्रा में डेटोनेटर व जिलेटिन बरामद किया गया था. मशीनों व विस्फोटकों के प्रयोग से बड़े-बड़े पहाड़ों व जंगलों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है. इस समय जंगली क्षेत्र में माफियाओं ने माइका व ढिबरा को कोडरमा-गिरिडीह भेजने के कई रास्ते बना लिये हैं.

प्रशासन की टीम से तेज है धंधेबाजों की मुखबिरी : विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि इस समय कोडरमा व गिरिडीह दोनों स्थानों पर माइका रात में भेजा जाता है. माइका के वाहन को ले जाते समय कुछ बाइक को आगे देखरेख में लगाया जाता है. ये रास्ते भर प्रशासनिक गतिविधियों को देखते ही माइका लदे वाहन को इसकी सूचना दे देते हैं. यही स्थिति खनन क्षेत्रों में भी होता है. वन कर्मी या प्रशासन के पहुंचने से पहले ही खनन में लगे लोगों को सूचना मिल जाती है. प्रशासन की टीम को वहां से बैरंग लौटना पड़ता है.

चाल के धंसने से होती है मजदूरों की मौतअवैध व असुरक्षित खनन के दौरान प्राय: चाल के धंसने से मजदूरों की मौत हो जाती है. पूर्व में खनन के दौरान दर्जनों ऐसे केस हो चुके हैं. 18 मई को अवैध रूप से माइका निकालने के दौरान दो महिलाओं की मौत हो चुकी है. उक्त मामले को दबाने का प्रयास चल रहा था, पर गुप्त सूचना पर गावां थाना पुलिस ने पहुंचकर दोनों शवों को जब्त कर लिया. सूत्रों के अनुसार खनन के दौरान किसी मजदूर की मौत होने पर 20 हजार रु दाह-संस्कार हेतु व एक लाख रु का मुआवजा पीड़ित के परिजनों को देकर उनका मुंह बंद कर दिया जाता है. लंंबे समय से क्षेत्र में लीज देकर सुरक्षित उत्खनन की मांग उठती रही है. चुनाव के समय लगभग सभी राजनीतिक दल माइका व ढिबरा के वैध खनन को मुख्य मुद्दे में शामिल करते हैं, पर चुनाव खत्म होते ही मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. मामले में रेंजर अनिल कुमार ने कहा कि किसी सूरत में अवैध उत्खनन होने नहीं दिया जयेगा. अवैध कारोबारियों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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