रंजीत कुमार, बोकारो.
सदर अस्पताल में चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए रात की ड्यूटी खतरे से खाली नहीं है. पिछले कई दिनों से अस्पताल में रात्रि पाली में चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं घट रही हैं. चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी डरे-सहमे रात्रि पाली में काम कर रहे हैं. गुरुवार की रात भी इमरजेंसी सेवा कक्ष में इलाज के लिए मरीज के साथ आये परिजनों ने एक चिकित्सक व दो महिला स्वास्थ्य कर्मियों का कॉलर पकड़ लिया. दुर्व्यवहार किया. गाली-गलौज तक हो गयी. किसी तरह रात गुजरी और चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी ड्यूटी खत्म कर घर चले गये. भय के कारण सदर उपाधीक्षक डॉ अरविंद कुमार से शिकायत भी नहीं कर सके. यह एक घटना है. पिछले कई सालों से अब तक ऐसी दर्जनों घटनाएं हो चुकी हैं. कई मामले में हो-हल्ला होता है. कई मामले में सभी चुप्पी साध लेते हैं. क्योंकि दूसरे दिन ड्यूटी करनी होती है. शनिवार को डीएस डॉ कुमार को घटना की जानकारी मिली. डॉ कुमार जांच के बाद कानूनी सहायता की बात कह रहे हैं.अस्पताल में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं :
पांच करोड़ के अस्पताल में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी खुद के भरोसे ड्यूटी करते हैं. आउटसोर्सिंग से निजी सुरक्षाकर्मी बहाल किया गया है, परंतु दुर्व्यवहार की घटना जब घटती है, तो निहत्था होने के कारण वे भी असहाय हो जाते हैं. सदर अस्पताल में चिकित्सकों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं लगातार हो रही हैं. फरवरी 2017 से 2024 (सात जून) तक चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों से दुर्व्यवहार की तीन दर्जन से अधिक घटना घट चुकी हैं.ओपीडी में हर दिन हो-हल्ला का आलम बना रहता है. हो-हल्ला करनेवालों से निपटने का कोई उपाय भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा नहीं किया गया. महिला व जेनरल ओपीडी को छोड़ दें, तो एक भी ओपीडी के बाहर हॉस्पिटल अटेंडेंट नहीं मिलते हैं. ऐसे में एक साथ दस से पंद्रह की संख्या में मरीज (नेत्र, दंत, मनोचिकित्सक, शिशु, स्कीन, इएनटी, अर्थोपेडिक व सर्जरी सहित 11 ओपीडी कक्ष) ओपीडी कक्ष में प्रवेश कर जाते हैं. कतारबद्ध तरीके से आने की बात कहते ही चिकित्सक से उलझ पड़ते हैं.
पहली बार सदर अस्पताल में 12 फरवरी 2017 को तत्कालीन डीएस सह अर्थोपेडिक्स डॉ एचडी सिंह के साथ दुर्व्यवहार की घटना हुई थी. जबरदस्ती दवा लिखवाने पर उतारू मरीज के परिजनों को मना करने पर दुर्व्यवहार किया गया. पुलिस प्रशासन से सिविल सर्जन के नेतृत्व में लगातार सुरक्षा की मांग की जाती रही. हर घटना के बाद दो-चार दिनों के लिए हथियारबंद पुलिसकर्मी की तैनाती होती है. इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. तत्कालीन सीएस डॉ सोबान मुर्मू, डॉ अंबिका प्रसाद मंडल, डॉ अशोक कुमार पाठक, डॉ जितेंद्र कुमार सिंह, डॉ एबी प्रसाद व वर्तमान सिविल सर्जन डॉ दिनेश कुमार ने कई बार सदर अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था की मांग की. तत्कालीन डीसी मृत्युंजय बरनवाल व तत्कालीन एसपी पी मुरूगन से लेकर पिछले कार्यकाल के डीसी व एसपी को पत्र भेजा. हर बार सभी ने सुरक्षा का आश्वासन दिया. अस्पताल परिसर में पुलिस पिकेट खोलने की बात की गयी, परंतु आज तक कुछ नहीं हो सका.सदर अस्पताल के सदर उपाधीक्षक ने कहा : सदर अस्पताल में रोजाना छह सौ के आसपास मरीज आते हैं. कर्मचारियों की कमी के कारण हर ओपीडी के समीप अटेंडेंट की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. निजी सुरक्षा गार्ड से स्थिति बाहर होने के बाद स्थानीय बीएस सिटी थाना का सहारा लिया जाता है. पिछले कई प्रबंधन के कार्यकाल से सुरक्षा की मांग लगातार की जा रही है. पुन: डीसी व एसपी से सुरक्षा को लेकर मिलेंगे. सिविल सर्जन डॉ दिनेश कुमार ने कहा कि घटना की जानकारी नहीं है. चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा हमारे लिए प्राथमिक है. घटना की पूरी जांच करायेंगे. मामला संगीन है. डीसी व एसपी से मिलकर हथियारबंद सुरक्षा गार्ड की मांग करेंगे. रात्रि पाली में विशेष सुरक्षा व्यवस्था जरूरी है. जबकि सिटी डीएसपी आलोक रंजन ने कहा कि सदर अस्पताल प्रबंधन की ओर से अब तक कोई जानकारी नहीं दी गयी है. घटना संवेदनशील है. अस्पताल में इस तरह की घटना को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे. अस्पताल में भयमुक्त माहौल में चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी कार्य करें. सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. घटना की जानकारी तुरंत दें.
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