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अवैध घाटों से बड़े पैमाने पर खुलेआम हो रही बालू की तस्करी

स्लग : धनबाद में ए सिंह व एम कुमार का सिंडिकेट बांट रहा बालू के अवैध कारोबार का लाइसेंस

मनोहर कुमार, धनबाद,

जिले में धड़ल्ले से बालू की तस्करी की जा रही है. माफिया खुलेआम अवैध कारोबार चला रहे हैं. इसका खुलासा बुधवार को जिला प्रशासन की कार्रवाई में भी हुआ है. जिला प्रशासन के आदेश पर चार ट्रैकर और दो 407 गाड़ियों को पकड़ा गया है. हालांकि ऐसी कार्रवाइयों का असर कुछ दिन ही रहता है, फिर यह धंधा जारी हो जाता है. जानकारों के अनुसार वर्तमान में एक सिंडिकेट प्रति गाड़ी तय राशि की वसूली कर जिले में बालू के अवैध कारोबार का लाइसेंस बांट रहा है. इतना ही नहीं वह लाइसेंस लेने वाले कारोबारियों को उनकी गाड़ी नहीं पकड़े जाने की गारंटी भी देता है. चर्चा है कि एएस व एमके बालू के अवैध कारोबार के सिंडिकेट का किंग पिन बने हुए हैं. उनके इशारे पर ही बालू का अवैध कारोबार संचालित हो रहा है. जानकार बताते हैं कि जो उक्त सिंडिकेट को पैसा नहीं देते, उनकी गाड़ियां पकड़ ली जा रही हैं.

जिले में बालू का एक भी वैध घाट नहीं :

एक परेशानी यह है कि जिले में बालू का एक भी वैध घाट नहीं है. इसका फायदा बालू माफिया उठा रहे हैं. वो जिले के विभिन्न नदी घाटों से हर दिन बेरोकटोक बालू का उठाव करा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक बंगाल व अन्य दूसरे जिलों के चालान पर सर्वाधिक बालू का अवैध उठाव पांड्रा-बेजरा, मोराडीह, पोलकेरा, सिजुआ व पोखरियां सहित अन्य नदी घाटों से किया जा रहा है. इससे जहां राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं खनिज संपदा का भी अवैध दोहन हो रहा है.

पोखरिया व गुडुवा मोड़ में होती है वसूली :

सूचना के मुताबिक पूर्वी टुंडी थाना क्षेत्र के बेजरा घाट व निरसा थाना क्षेत्र के सिजुआ घाट से निकलने वाले अवैध बालू लदे वाहनों से पोखरिया व गुडुआ में वसूली की जाती है. यहां से एएस व एमएस का सिंडिकेट प्रति वाहन वसूली कर रहा है. इससे पहले यहां केएम व एनएस का सिंडिकेट वसूली कर रहा था. टुंडी रोड में एक रिकवरी एजेंट के यहां भी गाड़ी पासिंग के नाम पर पैसे जमा किये जा रहे हैं. यहां सिंडिकेट के इशारे पर ही काम होता है.

अवैध वसूली के कारण बढ़ी बालू की कीमत :

एक बालू कारोबारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि धनबाद में हर दिन अवैध बालू की खपत हो रही है. पहले एक हाइवा बालू 17 से 18 हजार में बिक रहा था. अभी इसकी कीमत बढ़कर 24 से 30 हजार रुपये तक हो गयी है. पहले मैनेज करने के नाम पर हाइवा मालिकों से प्रति हाइवा 2000 हजार की वसूली की जा रही थी, जिसे अभी बढ़ा दिया गया है. इस कारण कुछ लोगों ने इस अवैध धंधे से दूरी बना ली है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग अभी भी लगे हुए हैं.

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