रीगा. प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों तालाब सूखने के कगार पर पहुंच चुका है. स्थानीय लोगों ने इसका मुख्य कारण विगत तीन वर्षों से वर्षा का अनुपात कम होना मान रहे हैं. कुछ पोखर को मत्स्य विभाग डाक द्वारा प्राप्त कर मछली पालने के उद्देश्य से लिया है, उसमें निजी पंपसेट से पानी की व्यवस्था करके मछली पालन किया जा रहा है. जबकि मनरेगा योजना के तहत खुदवाए गये पोखर भी समुचित देखरेख के अभाव में सूख चुका है. हालांकि समय पर वर्षा नहीं होने पर इन पोखरों के पानी से क्षेत्र के किसान धान व गेहूं की खेती के सीजन में सिंचाई का काम करते थे. मवेशियों के लिए इन पोखरों का पानी स्नान व पीने के उपयोग में लाया जाता था, पर इन तालाबों के सूख जाने से किसान व पशुपालकों के समक्ष बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. खास कर जंगली जानवरों के लिए जलसंकट पैदा हो गया है. कभी-कभी पानी के अभाव में जंगली जानवर की मौत भी हो जाती है. प्रखंड क्षेत्र के सबसे बड़े पोखर रामपुर गंगौली का अधिकांश भाग सूख चुका है. छोटे से भूभाग में थोड़ी पानी बची हुई है. जबकि यह पोखर गर्मी के महीने में भी कभी नहीं सूखती थी.
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