वाल्मीकिनगर. आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली, लव कुश का क्रीड़ा स्थली, मां सीता की शरण स्थली वाल्मीकिनगर में संत मोरारी बापू द्वारा राम कथा वाचन के अंतिम नौवें दिन सुबह से ही कथा स्थल पर भक्तों का जमावड़ा लगा रहा. कथा समाप्ति पर बापू की एक झलक पाने के लिए भक्त व्याकुल दिखे. प्रत्येक दिन की भांति कथा की शुरुआत सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चैतन्य को नमन करने के बाद हुई. इस दौरान मोरारी बापू ने वाल्मीकिनगर में आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की भव्य मूर्ति स्थापित करने और वाल्मीकि शोध संस्थान निर्माण करने का सुझाव दिया. साथ ही इस मामले में बिहार सरकार को अपने सांसद और विधायक के माध्यम से तैयार कराने की आग्रह की. वहीं नेपाल सरकार से वाल्मीकि आश्रम को विश्रामदायी विकास करने का आग्रह किया और कहा कि मां जानकी के जन्मस्थली जनकपुर जिस प्रकार से सुसज्जित है वैसा ही विकसित हो. साथ ही दोनों देशों के सभी सम्मानित लोगों को आगे आकर इस पर पहल करने का सुझाव दिया. जिसमें उनका भी सहयोग रहेगा. उसके उपरांत बापू ने कहा कि राम कथा लोगों की कथा है. अत्यंत सुख से दुख की उत्पत्ति होती है. सुख और दुख आते रहना चाहिए. क्योंकि इससे दोष और गुण दिखता है. सत्यवादी वही है जो हमेशा सत्य बोले. चाहे सामने कोई भी हो. शून्य और पूर्ण दोनों एक ही हैं. प्रेम को बांटना चाहिए. सब को प्रेम करो, चाहे वह शत्रु ही क्यों न हो. प्रेम परमात्मा को भी मुक्त करता है. अंतः करण को शुद्ध रख कर परमात्मा को पाया जा सकता है. कर्म करते रहो फल की चिंता मत करो. वर्षा ऋतु में सबसे प्रिय व्यक्ति की याद आती है. शिव और श्रीहरी के मिलने पर ही सेतु का निर्माण हुआ. राम का नाम लेने से सब को मुक्ति मिलती है. राम कथा सत्य है. गंगा की महिमा है. गंगा जल सभी पापों का नाश करती है. चैतन्य महापुरुषों का कहना है कि श्री कृष्ण का नाम भी सभी पापों का नाश करता है. प्रभु का कथा अनंत है, जिसे शब्दों से बांधा नहीं जा सकता. साथ ही बापू ने कहा कि छोटे से अनुष्ठान में भी कुछ गलतियां हो सकती है, ये तो नव दिनों का अनुष्ठान था. हो सकता है इसमें भी जाने अनजाने कोई गलती हो गयी हो उसे लेकर मंत्रोच्चारण द्वारा उस प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चैतन्य से क्षमा प्रार्थना की गयी. कथा समाप्ति के बाद हजारों की संख्या में पहुंचे भक्तगण बापू से आशीर्वाद प्राप्त कर प्रसाद ग्रहण किये. नौ दिनों के कथा वाचन के क्रम में अंतिम दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने रिकॉर्ड तोड़ दिया. पंडाल के अंदर और पंडाल के बाहर भीषण गर्मी में भी श्रद्धालुओं ने खड़े होकर मुरारी बापू के मुख से कथा का श्रवण किया. कथा समापन श्रद्धालुओं ने मंच पर श्रीराम की आरती के साथ की. बापू ने मंच से सभी भक्तों का अभिवादन करते हुए कथा का समापन किया.
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