महिलाओं को होती है परेशानी निरंजन कुमार, बांका देश की 70 प्रतिशत आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. और ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकतर लोग परंपरागत तरीके से अभी भी अपने दैनिक उपयोग के वस्तुओ की खरीद-बिक्री स्थानीय बाजार से ही करते हैं. इसमें ग्रामीण इलाकों में लगने वाली ग्रामीण हाट एक तरीके से शहर की तर्ज पर मॉल जैसा है. जहां सभी आवश्यक सामान लोगों को आसानी से मिल जाता है. ग्रामीण हाट में स्थानीय व्यवसायियों के द्वारा कई तरह के छोटे छोटे स्टॉल लगाकर ग्राहकों को सामान बेचा जाता है. यहां लोगों को हर तरह की छोटी आवश्यकताओं की सामाग्री आसानी से मिल जाती है. ग्रामीण हाट का रोचक पहलू यह भी रहता है कि अक्सर छोटे सामानों में भी काफी मोल भाव किया जाता है. जहां ग्राहक मोल भाव के बाद ही सामान खरीदते हैं. वहीं ग्रामीण आजीविका के लिए यह एक बड़ा बाजार होता है. जिस पर छोटे कारोबारियों का रोजी रोजगार वर्षों से चला आ रहा है. किसानों के लिए ग्रामीण हाट एक वरदान जैसा है. यहां किसानी कार्य में आने वाले छोटे औजार कुदाल, कचिया, हथौडा, खुरपी आदि सामान बड़ी आसानी से मिल जाता है. जबकि सब्जी उत्पादक किसान के लिए ग्रामीण हाट का बहुत महत्व है. आज भी ताजी सब्जी सिर्फ ग्रामीण हाटों में ही मिलती है. इसके लिए शहरी आबादी भी इसी के भरोसे हैं. इसके अलावा चाय, नाश्ता सहित अन्य दुकानों का भी हाट में एक अलग पहचान होता है. लेकिन आज भी ग्रामीण हाट कई मूलभूत समस्या से जूझ रहा है. जिस पर स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित संबंधित अधिकारियों को ध्यान देने की जरूरत है. मूलभूत सुविधाओं से वंचित है ग्रामीण हाट जिले के करीब सभी प्रखंडों में रोजाना दर्जनों ग्रामीण हाट लगती है. जहां मूलभूत सुविधा का घोर अभाव देखा जा रहा है. इन ग्रामीण हाटों से जहां सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है. वहीं स्थानीय व्यवसायियों सहित किसानों को रोजगार प्रदान करता है. बावजूद ग्रामीण हाट के विकास पर किसी का ध्यान नहीं है. जिसके अंतर्गत हाट को धूप व वर्षा से बचाने के लिए शेडिंग किया जाना जरूरी है. लेकिन यह हाट खुले आसमान में आज भी सजती है. वहीं हाट में पेयजल एवं शौचालय का भी घोर अभाव मौजूद है. लोगों को पेयजल व शौचालय के लिए यत्र तत्र भटकना पड़ता है. वहीं मवेशी हाट की भी स्थिति लगभग दयनीय है. दूर दराज से मवेशी बेचने के लिए हाट में आने वाले व्यापारी आदि के लिए शेड़ नहीं होने के कारण परेशानी होती है. ग्रामीण हाट के कई कारोबारी व ग्राहकों ने बताया कि शेड़, पेयजल, शौचालय आदि की व्यवस्था नहीं रहने से परेशानी होती है. खासकर शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से महिलाओं को परेशानी होती है. वहीं शेड़ नहीं रहने से धूप व बारिश के दिनों में परेशानी होती है.
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