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अधिकारियों की उदासीनता से नहीं चल सका ब्लड संग्रह केंद्र, लाइसेंस भी हुआ निरस्त

मोहनिया से होकर गुजरने वाली चार नेशनल हाइवे सड़क व ग्रैंड रेल कार्ड के बीच अवस्थित अनुमंडल अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की शिथिलता ही नहीं बल्कि इसे गैर जिम्मेदाराना हरकत कहें, जिसकी वजह से वर्ष 2020 में एसडीएच को औषधि व अंगराग विभाग से प्राप्त रक्त संचयन अधिकोष के लिए प्राप्त लाइसेंस सिर्फ इसलिए निरस्त कर दिया गया,

मोहनिया सदर.मोहनिया से होकर गुजरने वाली चार नेशनल हाइवे सड़क व ग्रैंड रेल कार्ड के बीच अवस्थित अनुमंडल अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की शिथिलता ही नहीं बल्कि इसे गैर जिम्मेदाराना हरकत कहें, जिसकी वजह से वर्ष 2020 में एसडीएच को औषधि व अंगराग विभाग से प्राप्त रक्त संचयन अधिकोष के लिए प्राप्त लाइसेंस सिर्फ इसलिए निरस्त कर दिया गया, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लाइसेंस व उपकरण मिलने के बावजूद ब्लड संग्रह केंद्र को संचालित करने की पहल शुरु ही नहीं की. इसका नतीजा रहा कि 11 अगस्त 2022 के बाद ही ब्लड संग्रह केंद्र को मिली अनुज्ञप्ति को रद्द कर दिया गया. यदि अनुमंडल अस्पताल में रक्त संचयन अधिकोष को चालू कर दिया गया होता, तो मोहनिया से होकर गुजरने वाली चार नेशनल हाइवे सड़कें एनएच-2, एनएच-30, एनएच-319ए, एनएच- 219 पर आये दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों व प्रत्येक दिन प्रसव के लिए अस्पताल आने वाली वैसी गर्भवती महिलाएं जिनमें खून की कमी या फिर प्रसव के बाद अधिक रक्तस्राव की स्थिति में अस्पताल में ब्लड उपलब्ध नहीं रहने के कारण उन्हें हायर सेंटर रेफर नहीं करना पड़ता और न ही घायलों व प्रसूताओं को समय से ब्लड नहीं उपलब्ध होने के कारण अपनी जान गंवानी पड़ती. लेकिन, जिन्हें हम धरती का दूसरा भगवान मानते हैं कुछ उन्हीं चिकित्सा पदाधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना हरकत से अस्पताल में ब्लड संग्रह केंद्र संचालित नहीं हो सका. यदि एसडीएच में ब्लड संग्रह केंद्र संचालित हो गया होता तो यह लाखों मरीजों के जीवन के लिए वरदान साबित होता. हालांकि, चालू माह में एक बार फिर एसडीएच को रक्त संचयन केंद्र के संचालन का लाइसेंस प्राप्त हो गया है, अब देखना यह होगा कि ब्लड कलेक्शन सेंटर चालू हो जाता है या फिर दूसरी बार भी लाइसेंस को रद्द करना पड़ेगा. # अगस्त 2022 के बाद प्राप्त अनुज्ञप्ति करनी पड़ी निरस्त जुलाई 2020 में औषधि निदेशालय पटना से औषधि व अंगराग नियमावली 1945 के नियम 123 अनुसूची-के (5बी) के अंतर्गत अनुमंडल अस्पताल मोहनिया को रक्त संचयन केंद्र अनुमोदन संख्या- बीएससी 66/2020 होल हूमन ब्लड आइपी के संचयन व वितरण निमित अनुमोदन प्रदान किया गया था. यह प्रदत्त अनुमोदन निर्गत की तिथि से 11 अगस्त 2022 तक मान्य था निर्गत पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि जांच के दौरान यदि यह पाया जाता है कि औषधि व अंगराग अधिनियम 1940 व तत्संबंधी नियमावली 1945 के अंतर्गत सन्निहित प्रावधानों या प्रदत्त शर्तों का उल्लंघन आप कर रहे हैं, तो आपको प्रदत्त रक्त संचयन केंद्र के अनुमोदन को निलंबित या रद्द कर दिया जायेगा व आपके विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई भी की जायेगी. लेकिन, यहां तो स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों की शिथिलता से रक्त संचयन केंद्र को संचालित ही नहींं किया गया, जिससे अगस्त 2022 के बाद प्राप्त अनुज्ञप्ति भी निरस्त करनी पड़ी. # उपाधीक्षक ने ब्लड संग्रह केंद्र के लिए की थी पुरजोर पहल मरीजों व घायलों को नया जीवन देने की दूरगामी सोच रखने वाले धरती के दूसरे भगवान उस समय के अस्पताल उपाधीक्षक डॉ चंदेश्वरी रजक ने 15 अक्टूबर 2018 को उपाधीक्षक की कुर्सी पर बैठने के लगभग सवा महीने बाद नवंबर 2018 में अनुमंडल अस्पताल में ब्लड संग्रह केंद्र के संचालक को लेकर पत्राचार शुरू कर दिया था और वो तब तक नहीं रुके, जब तक कि अनुमंडलीय अस्पताल को अगस्त 2020 में ब्लड संग्रह केंद्र की मंजूरी नहीं मिल गयी. हालांकि, उनके इस प्रयास में आपके अपने समाचार पत्र प्रभात खबर का भी विशेष योगदान रहा. समय-समय पर प्रभात खबर ने लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित होने वाले रक्त संचयन केंद्र के लिए प्रमुखता से खबर को प्रकाशित करता रहा है. यहां के लोगों के लिए वरदान साबित होने वाले ब्लड संग्रह केंद्र को लाइसेंस दिलाने जैसे नेक कार्यों के लिए डॉक्टर चंदेश्वरी रजक के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. # धूल फांक रहे ब्लड संग्रह केंद्र में रखे गये उपकरण अनुमंडलीय अस्पताल के द्वितीय तल पर जुलाई 2016 में ही ब्लड संग्रह कक्ष का निर्माण कराया गया था. ब्लड संग्रह के लिए विभाग से मिली फ्रिज में 150 से 200 यूनिट ब्लड रखने की क्षमता है. तत्कालीन उपाधीक्षक डॉक्टर चंदेश्वरी रजक की सोच थी कि 2020 में कोरोना का कहर थमने के बाद फ्रिज की क्षमता बढ़ावा कर 1000 यूनिट ब्लड की करवा दिया जायेगा, ताकि यहां पर्याप्त मात्रा में ब्लड उपलब्ध रहने से सड़क दुर्घटना में घायलों व प्रसव के लिए आने वाली वैसी महिलाएं जिनके अंदर खून की कमी है और उन्हें ब्लड की जरूरत है, ऐसे मरीजों को हायर सेंटर नहीं रेफर करना पड़े. जानकार बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष लगभग 175 से 250 सड़क दुर्घटना में वैसे घायलों को रेफर करना पड़ता है, जिनके शरीर से अधिक ब्लड निकल चुका होता है, वहीं प्रत्येक माह 5 से 10 की संख्या में प्रसव के लिए ऐसी महिलाएं भी एसडीएच आती हैं जिनमें खून की काफी कमी होती है और सुरक्षित प्रसव के लिए उन्हें हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है. # सर्जन के रूप में डाॅ धनंजय को किया गया था पदस्थापित अनुमंडल अस्पताल को ब्लड संग्रह केंद्र का लाइसेंस मिलने के बाद यह साफ हो गया था कि बहुत जल्दी ही रक्त संग्रह केंद्र संचालित हो जायेगा, जिससे सड़क दुर्घटना में घायलों व प्रसूता महिलाओं को खून की कमी के कारण अपनी जान नहीं गंवानी पड़ेगी. इसको देखते हुए ऑपरेशन की दृष्टि से पहली बार अनुमंडल अस्पताल में जनरल सर्जन के रूप में डॉ धनंजय कुमार को पदस्थापित किया गया था. एनएमसीएच से आये डॉ धनंजय कुमार ऑपरेशन संबंधित लगभग सभी कार्यों को सफलता से कर सकते थे. इतना ही नहीं ब्लड बैंक को संचालित करने के लिए एक टेक्नीशियन की भी आवश्यकता पड़ेगी, लेकिन उसे समय कोविड-19 को देखते हुए ब्लड संग्रह केंद्र के टेक्नीशियन राजेश्वर यादव को जिला में प्रतिनियुक्ति किया गया था. यहां ब्लड संग्रह केंद्र का इंचार्ज एसडीएच के वर्तमान उपाधीक्षक डॉ बदरुद्दीन अंसारी को बनाया गया था, जिसके सफल संचालन के लिए उन्हें आइएमएस से प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है. लेकिन ब्लड संग्रह केंद्र के संचालित नहीं होने से यह सारी तैयारी धरी की धरी रह गयी. जेपी रक्त अधिकोष ने हजारों घायलों को दिया जीवन अनुमंडल अस्पताल के प्रांगण में अवस्थित जेपी रक्त अधिकोष को कुछ वर्ष पूर्व ध्वस्त कर दिया गया, जबकि अपने ऐतिहासिक सफर में जेपी रक्त अधिकोष ने कई उपलब्धियों का सेहरा अपने सिर बांधा था. लेकिन, लगभग डेढ़ दशक से बंद पड़ा जेपी ब्लड बैंक भले ही अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा था, जिसे बाद में नेस्तनाबूत कर दिया गया. लेकिन इसी ब्लड बैंक ने हजारों लोगों को जीवन दिया था, जिसके स्वर्णिम इतिहास को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. जेपी ब्लड बैंक ने मुंबई में हुए बम ब्लास्ट, पुसौली में दुर्घटनाग्रस्त हुई एक्सप्रेस ट्रेन में सवार घायलों को ब्लड देकर उनकी जान बचायी थी, यह स्वर्णिम इतिहास है. 14 मार्च 1996 में बने इस जेपी ब्लड बैंक का जिसका उद्घाटन उस समय मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद द्वारा किया गया था. जानकार बताते हैं कि जैसे ही मुंबई बम ब्लास्ट की खबर जंगल के आग की तरफ फैली और मोहनिया के लोगों को जैसे ही इसकी भनक मिली कि घायलों के लिए ब्लड देना है, लोगों ने जाति और धर्म से ऊपर उठकर मानवता का साथ दिया था. देखते ही देखते ब्लड डोनेट करने वालों की लंबी कतार लग गयी थी. स्थिति यह हुई कि प्रशासन को 100 यूनिट ब्लड कलेक्शन करने के बाद ब्लड देने के लिए लाइन में खड़े लोगों को यह कह कर वापस करना पड़ा था कि अब ब्लड की आवश्यकता नहीं है. अनुमंडल अस्पताल को ब्लड संग्रह केंद्र का लाइसेंस मिलने के बाद एक बार फिर लोगों में यह आस जगी कि जेपी रक्त अधिकोष की कमी अब नहीं खलेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका रक्त संग्रह केंद्र का सपना अधूरा ही रह गया. # निजी दुकान चलाने वालों को पसंद नहीं अस्पताल का विकास कुछ प्रबुद्ध लोग बताते हैं कि मोहनिया के वैसे प्रभावी लोग जो मेडिकल का धंधा चलाते हैं, उनको यह बिल्कुल पसंद नहीं है कि अनुमंडल अस्पताल आधुनिक सुविधाओं से लैस हो और यहां मरीजों को नि:शुल्क बेहतर इलाज की सुविधाएं मिले. इसलिए उन रसूखदार लोगों ने मरीजों के प्रति दूरगामी सोच रखने वाले डॉ चंदेश्वरी रजक जिनके कार्यकाल में अस्पताल का काफी विकास हुआ, उनको राजनीति का शिकार बनाया गया और यहां से उनका स्थानांतरण इस लिए करवा दिया गया. ताकि अनुमंडल अस्पताल का बेहतर कायाकल्प नहीं हो सके और नि:शुल्क बेहतर इलाज एसडीएच में मरीजों को नहीं मिले. यदि मरीजों को अनुमंडलीय अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सेवा मिलने लगेगी, तो उनकी दुकान मंद पड़ जायेगी, जिससे उनका गोरखधंधा प्रभावित हो जायेगा. # बोले डीआइओ इस संबंध में जब डीआइओ शिव नारायण साह से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि पिछली बार किसी कारण से रक्त संचयन केंद्र चालू नहीं हो सका था. इसलिए लाइसेंस रद्द हो गया था. इसी माह में ब्लड संग्रह केंद्र के लिए पुनः लाइसेंस प्राप्त हो गया है, ऐसी जानकारी मुझे मिली है. # बोले उपाधीक्षक इस संबंध में जब अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ बदरुद्दीन अंसारी से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उस समय हमको प्रशिक्षण भी दिया गया था. अनुमंडल अस्पताल में ब्लड कलेक्शन सेंटर चालू करने की कवायद तो हुई थी, लेकिन हमें इसकी जानकारी नहीं है कि लाइसेंस की मंजूरी मिली थी कि नहीं, लेकिन अब पता चला है कि रक्त संचयन केंद्र को चालू करने के लिए लेटर आया हुआ, लेकिन हमको अभी मिला नहीं है. # बोले पूर्व उपाधीक्षक इस संबंध में अनुमंडल अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ चंदेश्वरी रजक से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि हमारे कार्यकाल में ही पत्राचार करने के बाद पटना से टीम आयी थी, उसने सब कुछ जांच की व सही पाया तो अगस्त 2020 में ही अनुमंडल अस्पताल को ब्लड कलेक्शन सेंटर का लाइसेंस मिल गया था. 11 अगस्त 2022 तक चालू नहीं होने पर उसका लाइसेंस भी रद्द हो गया होगा. इसके बाद मेरा स्थानांतरण हो गया, इसके बाद से मुझे कोई जानकारी नहीं है. # बोलीं पूर्व डीआइओ इस संबंध में पूर्व डीआइओ संगीता कुमारी से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अनुमंडलीय अस्पताल को रक्त संचयन केंद्र का लाइसेंस उसी समय मिल गया था, यदि सेंटर संचालित नहीं हुआ होगा तो अगस्त 2022 के बाद लाइसेंस रद्द हो गया होगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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