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जिले के 257 प्राथमिक विद्यालयों में होगी जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई

जिले के प्राथमिक विद्यालयों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं का संवर्धन किया जायेगा. इसके जिले के 257 विद्यालयों को चिह्नित किया गया है.

जामताड़ा. जिले के प्राथमिक विद्यालयों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं का संवर्धन किया जायेगा. इसके जिले के 257 विद्यालयों को चिह्नित किया गया है, जिसकी रिपोर्ट राज्य को भेजी जायेगी. गौरतलब है कि प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिलों को पत्र भेजकर यह निर्देश दिया था कि प्राथमिक कक्षा वाले विद्यालयों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन देना है. इस क्रम में राज्य के सभी 24 जिलों के प्राथमिक विद्यालयों को चयनित करना है. मानना है कि छात्र-छात्राओं की ओर से सर्वाधिक जनाजातीय, क्षेत्रीय भाषा का उपयोग किया जाता है. प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों की बोल-चाल की भाषा, मातृ भाषा में शिक्षा प्रदान करने से सीखने की प्रक्रिया सहज हो जाती है. साथ ही ड्रॉप आउट में भी कमी आती है. इसको लेकर पूर्व में राज्य के 259 विद्यालयों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा को मातृभाषा के रूप में स्वीकार करते हुए शिक्षण प्रक्रिया प्रारंभ भी किया गया है. झारखंड में बोली जाने वाली जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा संथाली, हो, खड़िया, कुहुख, मुंडारी, माल्तो, बिरहोर, भूमिज, असुर, बांगला, उड़िया, पंचपरगनिया, खोरठा, कुरमाली, नागपुरी का अधिकाधिक उपयोग किया जाता है. राज्य सरकार की योजना है कि सर्वेक्षण के आधार पर चिह्नित विद्यालयों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा के प्रोत्साहन के लिए माचेत, मास्टर (शिक्षक) अपने-अपने विद्यालयों में बच्चों के भाषायी ज्ञान एवं संवर्धन के लिए कार्य करें. चिह्नित विद्यालयाें में एक जनजातीय, क्षेत्रीय माचेत मास्टर की घंटी आधारित सेवाएं प्राप्त करने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है. ताकि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा जनजातीय बच्चे प्राथमिक शिक्षा से जुड़कर अपने उज्ज्वल भविष्य के प्रति अग्रसर हो सकें. क्या कहते हैं डीएसइ इस संबंध में डीएसइ ने कहा कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा प्रोत्साहन योजना के तहत जिले के प्राथमिक विद्यालयाें को सर्वेक्षण के आधार पर चयनित किया गया है. इनमें जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा के माचेत, मास्टर के चयन किया जाना है. इस संबंध में स्कूलों की सूची तैयार कर राज्य को भेजी जा रही है. -राजेश कुमार पासवान, डीएसइ

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