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शहर के मकानों में तेजी से लटने लगा टू-लेट का बोर्ड

शहर में इधर कुछ दिनों से हर मोहल्ले में टू-लेट का बोर्ड लटका नजर आने लगा है. गत एक माह से रिहायशी मोहल्ले में किराये के मकान में रहने वाले लोग खाली कर ग्रामीण क्षेत्रों की ओर रुख करने लगे हैं.

बिहारशरीफ. शहर में इधर कुछ दिनों से हर मोहल्ले में टू-लेट का बोर्ड लटका नजर आने लगा है. गत एक माह से रिहायशी मोहल्ले में किराये के मकान में रहने वाले लोग खाली कर ग्रामीण क्षेत्रों की ओर रुख करने लगे हैं. करीब प्रत्येक पांचवां मकान में रुम खाली, फ्लैट खाली का टू-लेट बोर्ड लगा हुआ मिल रहा है. बहुत से लोग शहर में तीन-चार मंजिला मकान बनाकर उसमें दो-तीन रुपये के फ्लैट को अलग-अलग लोगों को किराया पर देकर उसकी आमदनी से अपना परिवार चला रहे हैं. यानि व्यापारी व नौकरी के रूप में मकान किराया पर लगाने की चलन सी चल गयी है, लेकिन इधर कुछ माह से पानी, बिजली और हवा की समस्या गंभीर रूप लेता जा रहा है. नाला व सीवरेज निर्माण के कारण अधिकांश मोहल्ले का पानी सप्लाई कनेक्शन प्रभावित हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक शहरी क्षेत्रों में बिजली कटौती होने लगा है. दियासलाई जैसे बने मकान में बिजली कटने पर हवा और पानी पूरी तरह ठप हो जाती है. ऐसे में किराया पर फ्लैट लेकर बच्चों की पढ़ाई और खूद नौकरी व दुकान चलाने वाले परिवार अब शहर के आस-पास साढोपुर, चोरा बगीचा, 17 नंबर बाइपास, मघड़ा, गुफापर, राणा बिगहा, स्टेशन रोड के पूरब जैसे क्षेत्रों में बसने लगे हैं. जहां उन्हें किराया कम लगता है. शुद्ध हवा और पानी आसानी से उपलब्ध हो जाता है. कुछ किरायेदार का कहना है कि रिहायशी मोहल्ले में स्कूल वाहन, गैस वाहन से लेकर सब्जी विक्रेता पहुंच हीं नहीं रहे हैं. वहीं सभी क्षेत्रों में चकाचक सड़क बने हुए हैं, जहां स्कूली वाहन आसानी से पहुंच जाते हैं. इसलिए रिहायसी क्षेत्रों में अधिक किराया देने से अच्छा है कि शहर के आस-पास वाले क्षेत्रों में कम किराये वाले मकान में रहकर स्कूली वाहन से बच्चों को नामांकित स्कूल भेजा जाए. वहीं रिहायशी क्षेत्र के मकान लंबे समय तक खाली रहने पर मकानमालिक क्षेत्र के दुकानदारों और परिचित लोगों से किरायदार भेजने का आग्रह करते देखे जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि आने वाले तीन से पांच साल में रिहायशी क्षेत्र में और भी समस्याएं गंभीर रूप लेलेगी.

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