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शहर में अतिक्रमण एक समस्या या लोगों का अधिकार

शहर में अतिक्रमण एक समस्या या लोगों का अधिकार

जिम्मेदारों की चुप्पी से सड़क पर राहगीरों को पैदल चलना हो गया मुश्किल

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अतिक्रमण से आये दिन दुर्घटना के लोग हो रहे शिकार, जाम से परेशान

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कैप्सन-राजेंद्र चौक के समीप सड़क पर लगे ठेला पर दुकान.

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कैप्सन-पार्किंग के अभाव में सड़क किनारे खड़ी बाइक.

प्रतिनिधि, खगड़िया

शहर में आजकल पैदल भी चलना मुश्किल सा हो गया है. पैदल चलने वाले फुटपाथों पर दुकानें का आधा सामान सज जाता है. स्थायी दुकानदार शेड लगाकर आगे तक कब्जा कर लिया है. वहीं, दो पहिया व चारपहिया सड़क पर ही खड़े रहते है. इसके कारण राहगीर मजबूरी में रफ्तार भर रहे वाहनों के बीच सड़कों पर चलने के लिए विवश हैं. शहर के राजेंद्र चौक गोलबंर के चोरों तरफ फल विक्रेता, मंदिर के समीप कॉस्टमेटिक बेचने वाले, सड़क के बीचों बीच सब्जी व फल विक्रेता, सड़क के दोनों किनारे फल व नास्ता बेचने वाले का कब्जा है. यह कब्जा सिर्फ राजेंद्र चौक तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राजेंद्र चौक से स्टेशन रोड, माल गोदाम रोड, बखरी बस स्टैंड, बेंजामिन चौक, एमजी मार्ग, कोसी कॉलेज रोड, पटेल चौक पर समोसे, गोलगप्पे की दुकानें सज जाती है. इसके अलावे ई-रिक्शा, ऑटो चालक का कब्जा सड़क पर है. जिसके कारण आए दिन जाम जैसी समस्या उत्पन्न होती रहती है. इसका नतीजा यह है कि आये दिन राहगीर घायल होते रहते हैं. सबसे बड़ी बात है कि शहर का हृदय कहे जाने वाला राजेंद्र चौक पर किसी भी समय चलना खतरे से खाली नहीं है. यहीं हाल शहर के शहीद प्रभुनारायण चौक, सागरमल चौक, मील रोड, एसडीओ रोड, आर्य समाज रोड का भी है. खासबात यह है कि इस शहर में इ-रिक्शाओं की संख्या इतनी बढ़ गयी है कि इसको अधिकतर नाबालिग चलाते हैं. उन्हें यातायात नियमों का पता नहीं होता है, जहां जैसे जब चाहे गाड़ी रोक लेते हैं और गाड़ी खड़ी कर देते हैं. यह भी एक अतिक्रमण की समस्या में शामिल हैं.

उन्हें आगे पीछे आने जाने वाली गाड़ियों की थोड़ी भी फिक्र नहीं होती है. ठीक उसी प्रकार ठेले वालों का भी सड़क पर अतिक्रमण देखा जा रहा है.

अधिकारियों भी अतिक्रमण के कारण लगे जाम से फेर लेते हैं मुंह

दरअसल, शहर की सड़क से जिले के सभी प्रशासनिक अधिकारी का आना-जाना लगातार रहता है. फिर भी इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है. बड़े पदाधिकारी सायरन बजाते हुए निकल तो जाते हैं. लेकिन, आम जनों को कितनी परेशानी झेलनी पड़ती है. सड़क पर लगाये जा रहे ठेले के कारण भी जाम लगता है. जब जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ लेते है. इसका नतीजा अव्यवस्था की समस्याओं से शहर में राहगीरों को गुजरना पड़ता है. हालांकि नगरपालिका द्वारा कई बार अतिक्रमण हटाओ अभियान भी चला चुके हैं. लेकिन, इसका कोई असर नहीं पड़ता है. वहीं, अतिक्रमण करके रास्तों को इतना संकीर्ण कर दिया है कि हर वक्त जाम की स्थिति बनी रहती है. जिस रास्ते से गुजरो उधर ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

अतिक्रमण हटाओ अभियान का नहीं दिखता असर

नगरपालिका की ओर से कई बार अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया, लेकिन इसको लेकर जैसी सख्ती होनी चाहिए वो हो नहीं हो पा रही है. शहर से अतिक्रमण की समस्या कब सुलझेगी, यह किसी को पता नहीं. शहरवासियों को कहना है कि यदि सड़क से अतिक्रमण हटा दिया जाता और इस पर लगातार कार्रवाई होती, तो शहर में जाम समेत अन्य समस्याओं से लोगों को राहत मिल जाती है. अतिक्रमणकारियों को किसी का भय ही नहीं रहता है. यह तो कभी-कभी अपनी दुकान के सामने खड़ा होने से भी रोक देते हैं. जबकि खुद अवैध तरीकों से अपनी दुकानों को खड़े करते हैं.

कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी रणवीर कुमार ने बताया कि अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता रहा है. वहीं जरूरत पड़ा तो फिर से अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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