= 275 करोड़ की है यह योजना, जलजमाव रोकने के लिए इससे अच्छा कोई दूसरा उपाय शहर के लिए नहीं हो सकता है वरीय संवाददाता, भागलपुर बारिश के पानी की निकासी के लिए स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम से अच्छा कोई दूसरा उपाय भागलपुर शहर के लिए हो नहीं सकता है. महत्वपूर्ण रहते हुए इस पर किसी का कोई ध्यान नहीं है. जबकि, पिछले साल बरसात में जब शहर की सड़कें डूब गयी थी, तो इसके लिए प्लान कर कागजी प्रक्रिया पूरी की गयी थी. प्रपोजल नगर विकास व आवास विभाग को भेजा गया था. वर्तमान समय में पटना में फाइल धूल फांक रही है और यहां नगर प्रशासन नाली का पानी की निकासी प्वाइंट खोजवाने में उलझा हुआ है. वहीं, मेयर डॉ बसुंधरा लाल प्रमंडलीय आयुक्त से औपचारिक मुलाकात में जलजमाव की समस्या पर मार्गदर्शन मांग रही है. जबकि, इस प्रोजेक्ट पर न तो स्थायी समिति और न ही सामान्य बोर्ड की बैठक में चर्चा होती है. नगर प्रशासन भी इस प्रोजेक्ट पर गंभीर नहीं दिख रही है. प्रोजेक्ट बुडको के हाथ में है और यह उन्हीं को पूरा करना है लेकिन, स्वीकृति के बिना मुमकिन नहीं है. 275 करोड़ की है योजना, काम हुआ तो मिलेगी जलजमाव से राहत यह योजना 275 करोड़ की है. इसकी स्वीकृति मिले और काम हो, तो शहरवासियों को जलजमाव से राहत मिलेगी. नाले की उड़ाही और कुदाल से कचरा निकालने मात्र से यह बरसात के कुछ दिनों तक ठीक रह सकता है, लेकिन, जब कई-कई दिनों तक पानी बरसेगा, तो यह विधि नाले को ऊफनाने से रोक नहीं सकेगी. पिछले साल भी नाले की उड़ाही हुई थी और 30 लाख से ज्यादा खर्च हुआ था. बावजूद, बरसात के दिनों में शहर की सड़के डूब गयी थी. तत्कालीन डीएम ने भी स्टाॅर्म वाटर ड्रेनेज के लिए लिखा था चिट्ठी तत्कालीन डीएम सुब्रत कुमार सेन ने भी इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए पहल की थी. उन्होंने चिट्ठी लिखा था कि प्रोजेक्ट को संशोधित कर इसकी फाइल भेजी गयी है. तत्काल इस पर अनुमोदन मिल जाता है तो कार्यान्वियत हो सकेगा. बावजूद, इसके पटना में बैठे अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ा और यह अभी तक लंबित है. बॉक्स मैटर पिट बनाकर पानी को जमीन के अंदर भेजने से नहीं होगा जलजमाव मेयर डाॅ बसुंधरा लाल ने प्रमंडलीय आयुक्त दिनेश कुमार से औपचारिक मुलाकात की. इस दौरान प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा जलजमाव की समस्या पर मार्गदर्शन दिया गया. उन्होंने कहा कि जहां भी जल जमाव की समस्या रहती है और जल निकासी का प्रावधान नहीं है, ऐसे स्थान पर पिट बनाकर पानी को अंदर डाला जायेगा तो पानी रिचार्ज होगा. वॉटर लॉगिंग नहीं हो सकेगा. इस कार्य से जलजमाव की समस्या से निजात मिल सकेगा.
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