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200 मीटर की दूरी स्ट्रेचर पर तय करते हैं मरीज, बढ़ता है मर्ज

सदर अस्पताल में इलाज के लिए आनेवाले मरीजों की संख्या बढ़ी है. इसकी बड़ी वजह अस्पतालों में मिलने वाली व्यवस्था है. कई व्यवस्थाएं दुरुस्त हुई हैं. लेकिन, कुछ अब भी अधूरी हैं.

सासाराम नगर. सदर अस्पताल में इलाज के लिए आनेवाले मरीजों की संख्या बढ़ी है. इसकी बड़ी वजह अस्पतालों में मिलने वाली व्यवस्था है. कई व्यवस्थाएं दुरुस्त हुई हैं. लेकिन, कुछ अब भी अधूरी हैं. अगर बात करें इमरजेंसी की, तो फिलहाल स्थिति बेहतर नहीं है. सदर अस्पताल के ट्राॅमा सेंटर में इलाज के लिए छह बेड हैं, जो मरीजों की भीड़ को देखते हुए अपर्याप्त हैं. जैसे-तैसे यहां प्राथमिक उपचार करने के बाद जब वार्ड में एडमिट करने की तैयारी होती है, तब परिजनों को सरकारी अस्पताल का मतलब समझ में आता होगा, क्योंकि ट्राॅमा सेंटर तक सीधे एंबुलेंस की मदद से अपने मरीज को लेकर परिजन आ जाते हैं. लेकिन, वार्ड तक का सफर स्ट्रेचर पर तय करना पड़ता है, जो मरीज के साथ-साथ उनके परिजन के लिए भी कष्टकारक होता है. सदर अस्पताल का परिसर बहुत बड़ा है. ट्राॅमा सेंटर सीएस कार्यालय की बगल में बना हुआ है. वहां से मरीज को वार्ड में शिफ्ट कराने के लिए परिजन को 200 मीटर दूर कोविड सेंटर में स्ट्रेचर के माध्यम से लाना पड़ता है, जो सदर अस्पताल के पुराने भवन के पास बना हुआ है.

भरी दोपहरी में स्ट्रेचर धकेलने में छूट रहे पसीने

शिवसागर के पास गाड़ी के धक्के से घायल हुई तेतरा कुंवर को उनके परिजन जल्दी-जल्दी लेकर सदर अस्पताल के ट्राॅमा सेंटर में पहुंचे. चोट अधिक थी, तो तत्काल उनका उपचार शुरू हुआ. ड्यूटी पर तैनात जीएनएम ने तत्काल घाव को साफ करना शुरू किया. जख्म गहरा था, तो स्टीच लगाने का कार्य शुरू किया. मरीज को स्टेबल करने के बाद उनके परिजनों को ओपीडी भवन में स्थित एक्सरे रूम में भेजा गया, ताकि एक्सरे करा कर देख लिया जाये कि हड्डी टूटी तो नहीं है. परिजनों ने पर्ची लेकर पूछा कि एक्सरे कहां करना है? तो रिसेप्शन पर बैठे अस्पताल कर्मी ने उन्हें बताया कि यहां से स्ट्रेचर ले लीजिए और आगे में ओपीडी भवन है. उसी भवन में एक्सरे होता है. जाइए कराकर जल्दी लाइए. इसके बाद आगे का उपचार शुरू होगा. परिजनों ने स्ट्रेचर पर बच-बचाकर मरीज को रखा. तेज धूप और ऊबड़-खाबड़ रास्ते से होते हुए ओपीडी भवन में स्थित एक्सरे रूम के पास पहुंचे. इस दौरान मरीज के पैर हिलने-डुलने से एक बार फिर से ब्लीडिंग होने लगी. ऐसी स्थिति को देखकर परिजन परेशान हो गये और एक्सरे कराकर प्राइवेट अस्पताल में लेकर चले गये.

जहां इमरजेंसी भवन, वहां कोई व्यवस्था नहीं

सदर अस्पताल परिसर में नये भवन का निर्माण हो रहा है. इसके निर्माण के बाद ऐसा माना जा रहा है कि इसी भवन में ओपीडी, इमरजेंसी, आइसीयू सहित अन्य सुविधाएं शिफ्ट की जायेंगी. अभी इसमें एक वर्ष से अधिक का समय लग सकता है. फिलहाल में संचालित ट्रामा सेंटर में इलाज के लिए ऑक्सीजन, दवाएं और पीओपी ही मौजूद हैं. इसके अलावा इसीजी भी की जाती है. लेकिन, फिलहाल इसकी सुविधा नहीं मिल रही है. इस भवन में न तो एक्सरे मशीन है, न ही जांच घर है. ऐसे में सुबह से लेकर शाम तक मरीजों को उनके परिजन स्ट्रेचर पर रखकर ओपीडी भवन व ट्रामा सेंटर के बीच चक्कर लगाते रहते हैं.

नया भवन बनने के बाद व्यवस्था होगी दुरुस्त

कार्यकारी अधीक्षक डॉ पीके कनौजिया ने कहा कि सदर अस्पताल में नये भवन का निर्माण चल रहा है. इसके पूरा होने के बाद सभी सुविधाएं एक छत के नीचे प्राप्त होंगी. फिलहाल ट्राॅमा सेंटर भवन में जगह नहीं होने की वजह से ओपीडी भवन में एक्सरे मशीन और जांच घर को रखा गया है. इसके अलावा कोविड के लिए बने फेब्रिकेटेड अस्पताल को जेनरल वार्ड बनाया गया है, जहां बेहतर व्यवस्था है.

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