प्रतिनिधि, कर्रा कर्रा प्रखंड के कांटी हापू टोंगरी में मंगलवार को सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, पर्यटन कला संस्कृति, खेलकूद देव युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार द्वारा पारंपरिक होरो पड़हा जतरा का आयोजन किया गया. जतरा में बतौर मुख्य अतिथि होरो पड़हा राजा सुनील होरो ने कहा कि आदिवासी पारंपरिक पड़हा व्यवस्था को बचाने के लिए सबसे पहले सभी अगुवाओं को आगे आना होगा. झारखंड प्रदेश में आदिवासी की पहचान उनकी परंपरा, सभ्यता, रीति-रिवाज, वेशभूषा व धार्मिक स्थल सरना मसना से जुड़ा हुआ है. हम सभी आदिवासियों का पड़हा जतरा एक तरह धार्मिक रीति-रिवाज व संस्कृति है. इसमें हमें अपने परंपरागत दैवीय स्थल, पूजा पाठ, वेशभूषा के साथ नृत्य सांस्कृतिक को बचाने का अवसर मिलता है. जिसे हमें बचाकर रखना है. विशिष्ट अतिथि लरता पंचायत मुखिया संगीता कच्छप ने कहा कि पड़हा जतरा आदिवासियों को संगठित करने के साथ एकत्रित करने की परंपरागत व्यवस्था है. जतरा में विभाग से प्रमाणित चाला अखाड़ा खोड़हा के सौजन्य से 11 खोड़हा मंडली को प्रमाण पत्र व सरना गमछा देकर सम्मानित किया गया. मौके पर अध्यक्ष मदरा उरांव, संयोजक फागू धान, तेंबा कच्छप, लोहरदगा जिला से सांस्कृतिक प्रतिनिधि राजेश उरांव, सोमा कच्छप, बंधना धान, जुगीया भगत, अरुण सिंह, रादय धान, सीता धान, चुनिया उरांव, जानकी कच्छप, मंगरी धान आदि मौजूद थे.
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