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बालश्रम की भट्टी में झुलस रहा है बचपन

विश्व बालश्रम विरोधी दिवस स्कूल से ड्राप आउट बच्चों पर बढ़ा काम का बोझ

सूरज गुप्ता, कटिहार. यूं तो सरकारी एवं गैर सरकारी स्तर पर बाल श्रम मुक्त समाज बनाने को लेकर पिछले कुछ दशकों से लगातार अभियान व कार्यक्रम चलाये जा रहे है. पर बालश्रम अब तक समाप्त नहीं हो सका है. बुधवार को विश्व बालश्रम विरोधी दिवस है. हर वर्ष 12 जून को वैश्विक स्तर पर बालश्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस पर सरकारी एवं गैर सरकारी स्तर पर कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है तथा बालश्रम समाप्त करने को लेकर संकल्प लिया जाता है. यह अलग बात है कि पिछले वर्ष तक ऐसे मौकों पर होने वाली गतिविधियों का सार्थक परिणाम अब तक नहीं निकल पाया है. इस दिवस का आयोजन एक रस्म अदायगी बनकर रह गया है. बहरहाल विश्व बालश्रम विरोधी दिवस के अवसर पर कटिहार के संदर्भ में भी विमर्श करना जरूरी है. यद्यपि सरकार ने बालश्रम एवं बाल संरक्षण को लेकर कई स्तर पर व्यवस्था की है. उसके बावजूद कटिहार जिले सहित राज्य भर में बालश्रम बदस्तूर जारी है. करीब आठ वर्ष पूर्व कराये गये एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार कटिहार जिले में करीब 24000 बाल श्रमिक है, जो होटल, मोटर गैरेज, साइकिल दुकान, ईंट भट्टा, खेतिहर मजदूर, घरेलू नौकर के रूप में कार्यरत है. यह सर्वेक्षण केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के दिशानिर्देश के आलोक में राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना समिति कटिहार की ओर से कराया गया है. दूसरी तरफ बाल अधिकार संरक्षण के मुद्दे पर काम करने वाली राष्ट्रीय स्तर के संगठन राइट टू एजुकेशन फोरम, चाइल्ड राइट्स एंड यू की ओर से जनगणना 2011 के अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल बालश्रम में से 11 प्रतिशत बच्चे बिहार के होते है. सरकार के तमाम योजना एवं कार्यक्रम के बावजूद आज कहीं भी आपको बाल श्रमिक मिल जायेगा. खतरनाक कामों में लगाये गये बाल श्रमिकों को मुक्त कराने के लिए श्रम संसाधन विभाग के द्वारा धावा दल का भी गठन किया गया है. पर उसकी भी स्थिति ठीक नहीं है.

स्कूल से ड्राॅप आउट बच्चों में बढ़ा काम का बोझ

क्षेत्र भ्रमण के दौरान यह भी देखने को मिला है कि स्कूल से ड्राप आउट बच्चे बालश्रम को आत्मसात कर रहे है. जानकारी मिली है कि जिले में कई विद्यालयों को दूसरे विद्यालय में मर्ज व शिफ्ट कर दिया गया है. अधिक दूरी होने की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जाते है. ऐसे बच्चे या तो घरेलू कार्यों में सहयोग करते है या फिर होटल, मोटर गैरेज जैसे कार्यों में शामिल रहते है. दूसरी तरफ पिछले दो वर्षों से कोरोना की वजह से भी बच्चे काम करने को मजबूर हो रहे है. शहरी क्षेत्र के कई होटल एवं गैरेज में बच्चे काम करते देखे जा सकते है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी नाश्ता चाय की दुकान, होटल एवं खेतों में बच्चे काम करते मिल जायेंगे. ऐसे बच्चों के बारे में बताया जाता है कि गरीबी एवं आर्थिक रूप से कमजोर परिवार होने की वजह से ही उन्हें अपना बचपन बालश्रम की आग में झोंकना पड़ रहा है.

कदवा में सबसे अधिक है बाल श्रमिक

यह भी कम चौंकाने वाली बात नहीं है कि जिले में कुल कितने बाल श्रमिक है. इसका कोई सटीक आंकड़ा जिला प्रशासन के पास नहीं है. हालांकि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना समिति की ओर करीब आठ वर्ष पूर्व कराये गये सर्वेक्षण पर भरोसा करें तो कटिहार जिले में कुल 23955 बाल श्रमिक है. इसमें से सर्वाधिक बालश्रमिक कदवा प्रखंड में है. इस प्रखंड में 3124 बाल श्रमिक पाये गये है. जबकि कटिहार शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 2635, मनसाही में 441, हसनगंज में 400, मनिहारी में 1794, प्राणपुर में 860, समेली में 988, कुर्सेला में 456, अमदाबाद में 1370, बलरामपुर में 783, डंडखोरा में 592, आजमनगर में 2174, बारसोई में 1800, बरारी में 2814 एवं फलका में 1380 बालश्रमिक सर्वेक्षण के दौरान सामने आया था. यह बालश्रमिक मोटर गैरेज, होटल, साइकिल दुकान, ईंट भट्टा, खेतीहर मजदूर, घरेलू कार्य में शामिल है.

बालश्रम को रोकने में नाकाम है प्रशासन

ऐसा नहीं है कि केंद्र व राज्य सरकार बालश्रम की रोकथाम को लेकर पहल नहीं की है. सरकार की ओर से कई छोटे- बड़े कदम उठाये गये है. उसके बावजूद बालश्रम बदस्तूर जारी है. राज्य सरकार ने बालश्रम की रोकथाम को लेकर श्रम संसाधन विभाग को नोडल विभाग बनाया है. श्रम संसाधन विभाग के स्तर से धावा दल गठित की गयी है. धावा दल हर जिले में है. कटिहार में धावा दल गठित किया गया है. पर धावा दल की सक्रियता बालश्रम की रोकथाम की दिशा में कम ही रहती है. साथ ही जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण समिति, चाइल्डलाइन सहित कई सरकारी व्यवस्था के अलावा गैर सरकारी स्तर पर भी बालश्रम की रोकथाम को लेकर पहल की जाती रही है. पर परिणाम अब तक सिफर ही रहा है.

कहते है श्रम अधीक्षक

श्रम अधीक्षक बिनोद कुमार प्रसाद ने इस संदर्भ में बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 34 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है. चालू माह जून 2024 में अबतक चार बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है. बालश्रम मुक्त समाज बनाने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. बालश्रम उन्मूलन में समाज के सभी वर्गों का सहयोग भी जरूरी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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