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खून में आयरन की कमी से शारीरिक व मानसिक विकास हो रहा अवरुद्ध

नवजात शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होने में एनीमिया सबसे बड़ा कारक है.

मधुबनी. नवजात शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होने में एनीमिया सबसे बड़ा कारक है. वहीं किशोरियों एवं माताओं में कार्य करने की क्षमता में भी कमी आती है. यह बातें सिविल सर्जन डॉ नरेश कुमार ने कही. सीएस ने कहा कि समस्या को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय पोषण अभियान के अंतर्गत ‘एनीमिया मुक्त भारत’ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. कार्यक्रम के तहत विभिन्न आयु वर्ग के समूहों को चिह्नित कर उन्हें एनीमिया से मुक्त करने की पहल की जा रही है. सिविल सर्जन ने कहा कि इस अभियान के तहत विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों, किशोर, किशोरियों, महिलाएं एवं गर्भवती महिलाओं को लक्षित किया गया है. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जिले के निवासियों को एनीमिया जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव करना है. कार्यक्रम के तहत एनीमिया में प्रतिवर्ष 3 प्रतिशत की कमी लाने का भी लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए सरकार द्वारा संस्थागत व्यवस्था की गयी है. उन्होंने कहा कि खून में आयरन की कमी होने से शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है. इसके लिए सभी को आयरन एवं विटामिन ‘सी’ युक्त आहार का सेवन करना चाहिए. जिसमें आंवला, अमरुद एवं संतरे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में मिलने वाले स्रोत हैं. विटामिन ‘सी’ ही शरीर में आयरन का अवशोषण करता है. इस लिहाज से इसकी मात्रा को शरीर में संतुलित करने की जरूरत है.विल सर्जन ने कहा कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत सभी 6 आयु वर्ग के लोगों में एनीमिया रोकथाम का प्रयास किया जा रहा है. जिसमें 6 से 59 महीने के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए की 1 मिलीलीटर सीरप निःशुल्क दी जाती है. 5 से 9 आयु वर्ग के लड़के और लड़कियों को प्रत्येक सप्ताह आईएफए की एक गुलाबी गोली दी जाती है. यह दवा प्राथमिक विद्यालयों में प्रत्येक बुधवार को मध्याह्न भोजन के बाद शिक्षकों के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है. साथ ही 5 से 9 वर्ष तक के वैसे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते हैं, उन्हें आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण के दौरान उनके घर पर आईएफए की गुलाबी गोली खिलाई जाती है. वहीं 10 से 19 आयु वर्ग के किशोर और किशोरियों को प्रत्येक सप्ताह आईएफए की 1 नीली गोली दी जाती है. जिसे विद्यालयों पर प्रत्येक बुधवार को भोजन के बाद शिक्षकों के माध्यम से निःशुल्क प्रदान की जाती है. 20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को आईएफए की एक लाल गोली हर हफ्ते आरोग्य स्थल पर आशा के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है. सप्ताह में दो खुराक पिलाएगी आयरन सीरप एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत 6 माह से 59 माह तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए (आयरन फॉलिक एसिड) सीरप देने का प्रावधान किया गया है. एक खुराक में 1 मिलीलीटर यानी 8-10 बूंद होती है. सभी आशा कार्यकताओं को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सीरप की 50 मिलीलीटर की बोतलें आवश्यक मात्रा में दी जाती है. प्रथम दो सप्ताह में आशा स्वयं बच्चों को दवा पिलाकर मां को सिखाने का प्रयास करती एवं अनुपालन कार्ड भरना सिखाती हैं. दो सप्ताह के बाद की खुराक मां द्वारा स्वयं पिलाने एवं अनुपालन कार्ड में निशान लगाने की जानकारी दी जाती है.

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