संवाददाता, पटना : शहर के मैरेज हॉल, रेस्टोरेंट, होटल या किसी भी उद्योग के संचालक को प्रदूषण बोर्ड से एनओसी लेना अनिवार्य हो गया है. बोर्ड के अनुसार एनओसी में प्रदूषण मानक पालन की जानकारी देनी होगी. इसके अलावा उद्योग को इटीपी (एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट)लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे अपशिष्ट जल का प्रसंस्करण संभव हो सके़ संचालक एनओसी के लिए प्रदूषण बोर्ड की साइट पर जाकर आवेदन कर सकेंगे. इसके साथ ही सभी मैरेज हॉल, रेस्टोरेंट या होटल को प्रदूषणकारी यंत्र जैसे- जेनरेटर, साउंड, पानी आदि की जानकारी देना अनिवार्य है. इसके बाद उस उद्योग को तीन श्रेणियों में बांटा जायेगा. एनओसी प्राप्त करने से पहले प्रदूषण बोर्ड की एक टीम मैरेज हॉल, रेस्टोरेंट या होटल में जांच करने के लिए जायेगी. इन सभी मानकों का पालन करने वाले उद्योग को छह महीने का सीटीइ या पांच साल का सीटीओ लाइसेंस दिया जायेगा.
तीन श्रेणियों में बांटा जायेगा
1. लाल श्रेणी :
इसमें शहर के वैसे होटलों को रखा जायेगा, जो प्रतिदिन 100 किलोलीटर से अधिक प्रदूषित जल निकालते हैं.2.नारंगी श्रेणी :
इस श्रेणी में शहर के सितारा होटल को शामिल किया जायेगा, जहां 20 से अधिक कमरे हों और 100 किलोलीटर से कम प्रदूषित जल की निकासी हो.3. हरी श्रेणी :
इसमें बिना बॉयलर वाले 20 कमरों तक के वैसे होटल, जहां से 10 किलोलीटर प्रदूषित जल की निकासी होती है. 20 कमरों से कम क्षमता के होटल न्यूनतमइ100 वर्गमीटर तक के बैंक्वेट हॉल, न्यूनतम 36 लोगों की क्षमता वाले रेस्टोरेंट आते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है