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जमाई षोष्टी आज, दामाद की हाेगी विशेष आवभगत

बंगाली समुदाय में विशेष उत्साह, बनेंगे तरह-तरह के पकवान

धनबाद.

बुधवार को जमाई षोष्टी है. बंगाली समुदाय का यह पारंपरिक पर्व है. इसे धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन ससुराल में जमाई (दामाद) की विशेष आवभगत की जाती है. जमाई की लंबी उम्र की कामना के लिए सास उपवास करती हैं. तरह-तरह के पारंपरिक व लजीज व्यंजन बनाकर दामाद को खिलाया जाता है. इस दिन जमाई को भोजन कराने के बाद ही सास पानी पीती हैं. जमाई भी ससुराल के सदस्यों के लिए नये-नये वस्त्र, मौसमी फल, मछली और मिठाइयां लेकर जाते हैं. नये जमाई के लिए जमाई षोष्टी खास होता है. कोयलांचल के कई बंगाली परिवारों में जमाई षोष्टी को लेकर विशेष तैयारी की गयी है. वैसे इस दिन सभी जमाई का आदर सत्कार किया जाता है. कुछ बंगाली परिवार जहां जमाई की पहली जमाई षोष्टी है, वहां क्या तैयारी की गयी है जानते हैं ..

बेटी-जमाई का है इंतजार :

जेसी मल्लिक रोड प्रीत विहार कॉलोनी निवासी इवा भूई कहती हैं : जमाई षोष्टी पर जमाई की खातिरदारी सास द्वारा की जाती है. मेरी बेटी बरनाली व जमाई अर्गो देव कोलकाता में रहते हैं. 14 जुलाई 2023 में वे विवाह बंधन में बंधे थे. जमाई षोष्टी पर आनेवाले हैं. इसे लेकर काफी खुशी है. इस दिन उपवास कर षोष्टी माता की पूजा करूंगी. कटोरे में पांच तरह के गोटा फल लेकर उसे जमाई को दूंगी, नये पंखे को पानी में डूबोकर जमाई को हवा करूंगी. दोपहर के भोजन में इलिस माछ, चिंगड़ी माछ, मटन पुलाव, पांच तरह के भाजा, पायस व मिठाई जरूरी होता है. खाने में मिष्टी दही अनिवार्य है. हमारी तैयारी पूरी हो चुकी है. बस बेटी-दामाद के आने का इंतजार है. उनेक लिए कपड़े व उपहार खरीद लिये हैं.

षोष्टी मां खुशहाल रखे उनका संसार :

जेसी मल्लिक रोड निवासी लोपामुद्रा चक्रवर्ती कहती हैं : तीन दिसंबर 2023 को मेरी बेटी अधिवक्ता तूलिका की शादी शैलेंद्र झा के साथ हुई है. हमारे समुदाय में पहले जमाई षोष्टी खास होती है. जमाई का खूब आदर सत्कार किया जाता है. मैने जमाई षोष्टी मनाने की पूरी तैयारी की है. सुबह सत्यनारायण भगवान की कथा होगी. षोष्टी माता की पूजा के बाद ताड़ के पंखे से दामाद को हवा करूंगी ताकि उनके जीवन में शीतलता बनी रहे. खाने में चिंगड़ी माछ, पापटा माछ, हिलसा माछ सात तरह की मछली, सात तरह की मिठाई, पायस, पुलाव, पांच तरह का गोटा फल परोसा जायेगा. खाने के बाद जमाई सास के पांव छूकर आशीर्वाद लेता है. उस समय उसे और बेटी को नये कपड़े, फल, मिठाई, उपहार देकर आशीष दिया जाता है. जमाई भी सास को वस्त्र व उपहार देता है. यह हमारी परंपरा है. षोष्टी मां इनका संसार खुशहाल रखें.

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