वरीय संवाददाता, बोकारो.
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी-एनटीए संचालित नीट-यूजी का रिजल्ट घोषित होते ही पेपरलीक और नंबर देने में गड़बड़ी से जुड़े आरोप की चर्चा पूरे देश में हो रही है. झारखंड की बौद्धिक व शैक्षणिक राजधानी बोकारो भी इससे अछूता नहीं है. नीट की परीक्षा में बोकारो से लगभग 3500 विद्यार्थी बैठे थे. इस कारण बोकारो के मेडिकल प्रतिभागी व उनके अभिभावकों के साथ-साथ कोचिंग सेंटरों में भी नीट के रिजल्ट की चर्चा हो रही है. नीट के रिजल्ट को लेकर प्रभात खबर बोकारो ने बुधवार को सिटी सेंटर सेक्टर चार स्थित कार्यालय में शहर के कोचिंग संचालकों व फैकल्टी के साथ परिचर्चा की. सभी ने नीट रिजल्ट पर सवाल उठाया. कहा : एनटीए की तरफ से 14 जून को रिजल्ट जारी होने की संभावित डेट बताई गई थी, लेकिन 10 दिन पहले ही चार जून की शाम को परिणाम क्यों जारी कर दिया गया? स्टूडेंट को न्याय मिलना चाहिए. उनका व परिवार का सपना टूट रहा है.67 कैंडिडेट को मिले 720 में से 720 नंबर :
बोकारो के शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि आरोप पहली नजर में गंभीर लग रहे हैं. जैसे, इस बार 67 कैंडिडेट ऐसे रहे, जिन्हें 720 में से 720 नंबर मिले हैं, जबकि पिछले पांच वर्षों में फुल मार्क्स पाने वाले टॉपरों की संख्या महज तीन रही है. साथ ही, अजब संयोग यह भी है कि ये 67 स्टूडेंट्स खास कोचिंग सेंटर से जुड़े हैं. ग्रेस मार्क्स देने के आधार, उसके तरीके पर तो सवाल उठाया ही गया है, इसमें पारदर्शिता की कमी को भी मुद्दा बनाया गया है.परीक्षा रद्द करने व काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार :
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नीट परीक्षा रद्द करने व काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. नीट के कथित पेपर लीक के चलते एग्जाम रद्द करने को लेकर याचिका दायर की गयी थी. शीर्ष अदालत ने इस पर सुनवाई के दौरान कहा : पेपर लीक और धांधली के आरोपों पर कोर्ट एग्जाम करने वाली एजेंसी एनटीए की भी दलील सुनना चाहता है. कोर्ट ने इस बाबत नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को नोटिस जारी कर पेपर लीक के आरोपों पर जवाब मांगा है. अब सुनवाई आठ जुलाई 2024 को होगी.ग्रेस मार्क्स मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित :
शिक्षा मंत्रालय ने नीट में करीब 1600 स्टूडेंट्स को मिले ग्रेस मार्क्स मामले की जांच के लिए एक चार सदस्यीय कमेटी बनायी है. यूपीएससी के पूर्व चेयरमैन की अगुवाई में यह कमेटी एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. एनटीए ने कहा कि स्टूडेंट्स को ग्रेस अंक देने से नतीजों या क्वालिफाइंग क्राइटेरिया में कोई फर्क नहीं पड़ा है. एनटीए ने पेपर लीक होने के आरोपों को भी खारिज कर दिया.मेडिकल प्रतिभागी व उनके परिवार का टूट रहा है सपना
ख्याति जोबनपुत्रा( बायाे फैकेलटी-स्मार्ट प्रेप) :
रिजल्ट देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि कहीं-न-कहीं कुछ गड़बड़ी हुई है. इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. 2015 में फिर से परीक्षा हुई थी. इसलिए संभावना है कि इस बार भी फिर से परीक्षा हो. एनटीए का अपना स्पष्टीकरण है. लेकिन, बोकारो सहित देश में जितने बड़े पैमाने पर स्टूडेंट्स इन परीक्षाओं में शामिल होते हैं और उनकी आकांक्षाएं जुड़ी होती हैं, उसे देखते हुए गड़बड़ी के संदेह के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी जा सकती. नीट मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए.पवन कुमार (फिजिक्स फैकेलटी-स्मार्ट प्रेप ):
एनटीए ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो बातें कहीं है, उसका जिक्र कहीं भी नहीं किया है. यहां तक कि एनटीए के ब्राउजर में भी नहीं है. जिस तरह से दो दिनों के लिए विंडो खोला गया है, ऐसा लगता है कि इस तरह के रिजल्ट की तैयारी पहले से ही की गयी थी. नीट का पेपर लीक होने की वजह से रैंक और नंबर को बुरी तरह प्रभावित किया है. पेपर लीक होने से रैंक में इनफ्लेशन हुआ है. सोशल मीडिया पर अभ्यर्थी नीट स्कैम, नीट परीक्षा रद्द करो व रिजल्ट फिर से जारी करो हैश टैंग चला रहे हैं.प्रांजल भारती( प्रबंध निदेशक, बंसल क्लासेस) :
नीट का पेपर आसान होता है. इसका लेबल बढ़ाने की जरूरत है. इससे पढ़ने वालों बच्चों के साथ न्याय होगा. नीट रिजल्ट की जांच कर उसका खुलासा होना ही चाहिए. इसके साथ नंबर ऑफ अटेंप्ट भी कम करना चाहिए. एक ही एग्जाम सेंटर से छह टॉपर कैसे हो सकते हैं ? एनटीए ने नीट टॉपरों की जो मेरिट लिस्ट जारी की है, उसमें 8 स्टूडेंट्स के रोल नंबर एक ही सीरीज के हैं. सीरियल नंबर 62 से लेकर 69 के तक के 8 स्टूडेंट्स में से 6 स्टूडेंट्स रैंक 1 पाने वाले टॉपर हैं.अभिजीत रॉय (मैथ्स फैकल्टी-रिज्यलुट एडु इंस्टीच्यूट ):
मेडिकल प्रवेश परीक्षा पर सवाल पहले भी उठता रहा है. तमिलनाडु लगातार इसका विरोध करता रहा है. नंबर ऑफ अटेंप्ट को कम करने की जरूरत है. प्रवेश परीक्षा में सफलता नहीं मिलती है तो कोई भी तरीका अपनाया जाता है. इस बार का रिजल्ट ही संशय पैदा कर रहा है. इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. 8 में से 7 स्टूडेंट्स का सरनेम लिस्ट में क्यों नहीं लिखा है? इन 8 में से 6 को 720 में से 720 अंक मिले हैं. बिना ग्रेस मार्क्स के भी ऑरिजनल मेरिट लिस्ट जारी हो.उत्पल कुमार( फिजिक्स फैकेलटी-रिज्यलुट एडु इंस्टीट्यूट)
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पेपर लीक होना बहुत बड़ी समस्या है, फिर चाहे वह नीट हो या कोई भी प्रवेश या प्रतियोगिता परीक्षा. बच्चे एक-दो साल काफी मेहनत करते हैं. ऐसे में अगर इस तरह का रिजल्ट आता है तो बच्चों के साथ-साथ अभिभावक भी कई तरह की समस्याओं का सामना करते हैं. सजा ऐसी हो कि दुबारा ऐसी घटना न हो. ग्रेस मार्क्स को लेकर एनटीए ने नोटिफिकेशन में कोई जानकारी नहीं दी थी. फिर अचानक रिजल्ट में इस पॉलिसी को क्यों किस आधार पर लागू किया गया?मुमताज शम्सी (जंतु विज्ञान फैकेलटी-पेस आइआइटी एंड मेडिकल) :
नीट का रिजल्ट जिस तरह से हुआ है, उसस ऐसा लगता है कि कहीं-न-कहीं कुछ गड़बड़ी हुई है. 718 और 719 मार्क्स कैसे आये, जबकि यह असंभव है. 720 के बाद किसी को 715 और 716 अंक ही आ सकते हैं. नीट की टाइ ब्रेकिंग पॉलिसी रिजल्ट के समय क्यों बदली गई है. 8वां नियम क्यों डाला गया है, जबकि नोटिफिकेशन में इसका कोई जिक्र नहीं था, केवल 7 पैरामीटर ही थे? पहले आवेदन करने वाले को मेरिट में ऊपर रखा जायेगा, यह पहले क्यों नहीं बताया गया.पार्थ सारथी मिश्रा(सेंटर मैनेजर-पेस आईआईटी एंड मेडिकल ) :
नीट का रिजल्ट देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि धांधली हुई है. इतने बड़े पैमाने पर ग्रेस मार्क्स संशय पैदा करता है. 719 अंक कैसे आयेगा ? कितने टाइम लॉस होने पर कितने ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं? लोकसभा चुनाव परिणाम के दिन ही नीट रिजल्ट क्यों जारी किया गया? जबकि इसकी संभावित तिथि 10 दिन बाद थी. पूरे देश में नीट के रिज़ल्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं. कोचिंग संस्थानों की मांग है कि एनटी इस परिणाम पर पुनः विचार करें और फिर से परीक्षा का आयोजन कराये.कमलेश कुमार सिंह(मैनेजिंग डायरेक्टर, ऑरेंज नीट कैंपस) :
मेडिकल प्रवेश परीक्षा के प्रश्न पत्र का स्तर पिछले तीन-चार सालों से गिरता जा रहा है. प्रश्न पत्र के स्टैंडर्ड को मेंटेन करना होगा. नीट में एक साथ कई बच्चों को अधिक नंबर आना, एक ही सेंटर से रिजल्ट आना, ग्रेस मार्क्स…सभी संशय पैदा करते हैं. इस बार नीट की कट ऑफ में 45 अंकों का बढ़ोतरी देखने को मिली है. यह रिकॉर्ड है. पिछले साल जहां 605 नंबर पर 26485 स्टूडेंट्स थे, इस साल वे 76 हजार कैसे हो गये. एक ही साल में बच्चे एक साथ तीन गुना इंटेलीजेंट कैसे हो गये.एमके झा (सीइओ-ऑरेंज नीट कैंपस) :
बोकारो में मेडिकल के प्रति बच्चों की रूझान बढ़ी है. नीट रिजल्ट को लेकर कई तरह की गड़बड़ी सामने आ रही है. एनटीए को विचार करना चाहिए. यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. इस बार ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक पर 67 स्टूडेंट्स रहे. पहली रैंक पर इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स कैसे आ गए? 718, 719 नंबर कैसे दिए? स्टूडेंट्स सारे सवाल सही करता तो 720 नंबर मिलते और एक भी गलत होता तो माइनस मार्किंग की वजह से अधिकतम 715 नंबर मिलते और एक सवाल छोड़ देता तो 716 अंक.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है