पहल. सरकार का प्रयास ग्रामीण क्षेत्र के अधिक से अधिक लोगों को ऋण मिले
निदेशक मंडल में नामित किये गये जीविका की एसीइओ अभिलाषा कुमारी शर्मा और वित्त विभाग के संयुक्त सचिव संजीव मित्तल
प्रभात खासकैलाशपति मिश्र,पटना
ग्रामीण क्षेत्र के अधिक से अधिक लोगों को ऋण मिले इसके लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है. राज्य के ग्रामीण बैंकों का प्राथमिक दायित्व भी ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण देना है, लेकिन बिहार के दोनों उत्तर और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक पूंजी और प्रोफेशनल लोगों की कमी के कारण लगातार पिछड़ रहे हैं.दूसरे बैंकों की तुलना में ग्रामीण बैंकों की गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ग्रामीण बैंक भी ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य बैंकों से प्रतिस्पर्धा कर सकें, इसके लिए उन्हें पूंजी की जरूरत है.इसके लिए राज्य सरकार न केवल उत्तर और दक्षिण बिहार के ग्रामीण बैंकों को करीब सौ करोड़ रुपये देगी, बल्कि दोनों बैंकों के निदेशक मंडलों में अपने दो अधिकारियों को भी नामित किया है. ये अधिकारी हैं जीविका की अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा और वित्त विभाग के संयुक्त सचिव संजीव मित्तल. उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में केंद्र सरकार के पास क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में 50 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि 35 फीसदी स्पॉन्सर बैंक के पास और 15 फीसदी राज्य सरकार के पास है.राज्य में उत्तर और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की स्थिति
बिहार में दोनों ग्रामीण बैंक की कुल कुल 2105 शाखाएं हैं. इनमें उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक (यूबीजीबी) की 675 और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक (डीबीजीबी) की 1450 शाखाएं हैं. दोनों बैंकों का साख जमा अनुपात करीब 60 फीसदी है. दोनों आरआरबी ने 39632 करोड़ जमा की तुलना में 21126 करोड़ ऋण दिया है. जहां तक दोनों आरआरबी के मार्केट शेयर की बात है तो यह9.65 फीसदी है. उल्लेखनीय है कि बिहार में सर्वाधिक मार्केट शेयर एसबीआइ का है. यूबीजीबी और एनबीजीबी में बिहार के लोगों का 33.42 लाख खाते हैं, जबकि बैंक ने सात लाख केसीसी धारक को6726 करोड़ ऋण दिए हैं.दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का एनपीए कुल ऋण का 40.39 फीसदी
बिहार के दोनों उत्तर और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक (एसबीजीबी) का एनपीए बैंक के कुल ऋण का लगभग 40.39 फीसदी और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक (यूबीजीबी) की एनपीए17.29 फीसदी से अधिक है. इस कारण से दोनों बैंकों का वित्तीय सेहत खराब हो गयी है. बिहार कृषि प्रधान राज्य है, ऐसे में ग्रामीण बैंकों का एक खास महत्व है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है