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Heat Wave: बिहार में लू से हुई मौत का ऐसे होगा सत्यापन, सहायता राशि मिलने में होगी आसानी…

बिहार में लू से हुई मौत का अब सत्यापन अलग तरीके से किया जाएगा. इसके लिए जिलों को विशेष फॉर्म भेजा गया है.

Heat Wave: बिहार में प्रचंड गर्मी की मार लोग झेल रहे हैं. गर्मी और लू की वजह से लोगों की मौत का सिलसिला भी पिछले कुछ दिनों से जारी है. मौसम विभाग और आपदा विभाग की ओर से लोगों को अलर्ट किया गया है कि वो अपनी सेहत का विशेष ख्याल रखें. एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही है. सीएम नीतीश कुमार ने भी अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रहने को कहा है. 45 डिग्री से अधिक के तापमान में लोग सड़क पर चलते और ट्रेन में सफर करते ही दम तोड़ रहे हैं. भीषण गर्मी के कारण बेहोश होने और डायरिया व ब्रेन हेमरेज की चपेट में आने वाले अनेकों मरीज अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं. वहीं अब लू के कारण होने वाली संभावित मौत को लेकर सरकार ने नयी गाइडलान जारी की है.

नयी गाइडलाइन जारी की गयी..

लू के कारण होनेवाली संभावित मौत को लेकर नयी गाइडलाइन जारी कर दी गयी है. इसमें चिकित्सकों को वर्बल ऑटोप्सी करने का निर्देश दिया गया है. चिकित्सकों को लू के कारण संभावित मौत के वास्तविक कारणों का निरीक्षण करना है जिससे पीड़ित परिवार के आश्रित को सहायता राशि मिलने में कठिनाई नहीं हो.अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के बारे में कुछ जानकारी अब जुटानी पड़ेगी और उसका पूरा ब्यौरा दर्ज करना होगा.

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जिलों को भेजा गया फॉर्म, करना होगा ये काम..

स्वास्थ्य विभाग की ओर से सस्पेक्टेड हिट रिलेटेड इलनेस डेथ इनवेस्टिगेशन फार्म सभी जिलों को भेजा गया है. इसके माध्यम से अस्पताल में भर्ती होने के बाद किसी मरीज का विस्तृत ब्योरा दर्ज किया जाना है. इसमें मरीज के परिजनों से प्रश्न पूछना है जैसे कि क्या मरीज बेहोश या मौत की स्थिति में अस्पताल पहुंचा है. वह कौन सा स्थान है जहां पर मरीज बेहोश हुआ था. मरीज किस राज्य , किस जिला, किस प्रखंड और किस गांव का रहनेवाला है. अगर कोई मरीज मौत की स्थिति में अस्पताल पहुंचता है तो वह कौन सा अस्पताल है और उसका क्या पता है. किस समय मरीज की मौत हुई और किस तिथि को हुई.

मौत से 24 घंटे पहले की जानकारी जमा होगी..

मृतक के मौत से 24 घंटे पहले की क्लिनिकल हिस्ट्री अब लेनी होगी. इसमें मरीज के परिजन का बयान और मेडिकल रिकार्ड का मिलान किया जाएगा. जिसमें यह दर्ज करना है कि मरीज अस्पताल आया था तो उसकी त्वचा गर्म या सूखी थी या नहीं. क्या मरीज किसी अन्य मानसिक रूप से पीड़ित था. मरीज के शरीर का तापमान क्या था. उसकी नब्ज, श्वास और ब्लड प्रेशर क्या था. लू लगने का पहला लक्षण उसे कहां दिखा था. वो उस दौरान घर पर मौजूद था या कार्यस्थल, सामाजिक समारोह, रोड, या स्कूल-कॉलेज में था. इस प्रकार से पूरा ब्योरा दर्ज किया जाना है. जिससे सहायता राशि देने में आसानी होगी.

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