Bihar: पटना. लोकसभा चुनाव में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन से बेशक महागठबंधन में उत्साह है, लेकिन तेजस्वी यादव की अग्निपरीक्षा उपचुनाव में होगी. तेजस्वी यादव के सामने न केवल गठबंधन के सहयोगियों को एकजुट रखने की चुनौती है, बल्कि उन्हें गठबंधन की 3 सीटें बचाना भी है. गया, जहानाबाद, आरा और बक्सर से जीते सांसदों को विधायक की कुर्सी छोड़नी है. इन चार सीटों में 3 सीट महागठबंधन की है, जिसमें दो आरजेडी और एक माले की सीट है, जबकि एनडीए के जीतन मांझी की हम की एक सीट है. राजद के सुधाकर सिंह की रामगढ़, हम के जीतन मांझी की इमामगंज, माले के सुदामा प्रसाद की तरारी और आरजेडी के सुरेंद्र यादव की जहानाबाद विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है.
एनडीए की सीटों पर सहयोगियों की नजर
वहीं अगले महीने जुलाई में बीमा भारती की रूपौली विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव है. बीमा ने पूर्णिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव इस सीट से जीतने में सफल हुए थे. बीमा भारती पहले नीतीश की जेडीयू में शामिल थी, लेकिन टिकट न मिलने की संभावनाओं को देखते हुए आरजेडी में शामिल हो गई थीं. रूपौली सीट पर सहयोगी का दावा तेजस्वी को परेशान कर सकता है. इसके अलावा तिरहुत स्नातक विधान परिषद सीट पर भी उपचुनाव होगा. जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर सीतामढ़ी से सांसद बने हैं. इस सीट पर भी राजद के सहयोगी दल की नजर है.
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तेजस्वी यादव का दिखेगा राजनीतिक कौशल
ऐसे में आने वाले वक्त में होने वाले उपचुनाव में एक बार फिर से महागठबंधन की लड़ाई तेजस्वी यादव लड़ते दिखेंगे. तेजस्वी यादव इस बार अपने सहयोगियों को कैसे एकजुट रखते हैं यह देखनेवाली बात होगी. खासकर भाकपा माले की मांग को वो कैसे पूरा करते हैं यह उनकी राजनीतिक कौशल को साबित करेगा. वहीं एनडीए की ओर से मोदी, नीतीश मैदान में होंगे. ऐसे में एनडीए के पास उपचुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा में संख्या बल बढ़ाने का एक मौका है. तेजस्वी के सामने अपनी सीटें बचाने के अलावा एनडीए की विधानसभा सीटों में सेंध मारी की चुनौती भी है.