भागलपुर/सबौर में खेतों को कूड़े के जहर से सींचा जा रहा है. कभी इस खेत, तो कभी उस खेत में शहर से उठाया गया कूड़ा फेंका जा रहा है. लोगों से पहले नगर पंचायत के पदाधिकारी व कर्मचारी आरजू-विनती कर मनाते हैं. वे अपनी खेतों में कूड़ा फेंकवाने की बात मान जाते हैं तो ठीक, नहीं तो उन्हें इस बात का लालच दिखाया जाता है कि बिना पैसे के उनकी खेत ऊंची हो जायेगी और फिर उसकी आवासीय भूमि के रूप में कीमत काफी बढ़ जायेगी. इस लोभ-लालच में लोग अपनी खेतों को भरवा रहे हैं. लेकिन सबौर के निवासियों को इसका क्या दुष्परिणाम निकट भविष्य में झेलना होगा, इस पर न तो पदाधिकारियों को चिंता है न जनप्रतिनिधियों को और न आम लोगों को.
नगर पंचायत है मजबूर
खेतों में कूड़ा फेंकने की नगर पंचायत की मजबूरी भी है. कूड़ा डंप करने की अभी तक कोई जगह निर्धारित नहीं की गयी है. इसके प्रसंस्करण की व्यवस्था नहीं की गयी है, जबकि नगर पंचायत का गठन 17.02.2021 को ही अधिसूचना जारी कर नगर विकास एवं आवास विभाग ने कर दिया था. यहां चुनाव भी हो चुका है और मुख्य पार्षद, उपमुख्य पार्षद और पार्षद चुनाव के बाद से अपना कार्यभार भी संभाल चुके हैं. नगर पंचायत में कार्यपालक पदाधिकारी और कर्मचारी भी नियुक्त किये जा चुके हैं. इसका कार्यालय भी संचालित है. कई बैठकें भी हो चुकी हैं.
एनजीटी के आदेश का भी ख्याल नहीं
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी), नयी दिल्ली ने ओए नंबर 606/2018 में 15.03.2019 को एक न्यायादेश जारी किया था. इसके तहत नगर निकायों को ठोस कचरा प्रबंधन के अंतर्गत ठोस कचरे के प्रसंस्करण व निपटान का कार्य करना है. इसके लिए प्लांट की व्यवस्था की जानी है. इस आदेश के बावजूद नगर निकाय प्रशासन गंभीरता से पहल नहीं कर पा रहा है.
नगर पंचायत ने सीओ को लिखा था पत्र, पर जमीन नहीं मिली
सबौर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी ने सबौर के सीओ को 15.05.2024 को पत्र लिखा था. कार्यपालक पदाधिकारी ने एनजीटी के आदेश का हवाला देते हुए ठोस कचरे के प्रसंस्करण व निपटान के लिए नगर पंचायत को दो एकड़ जमीन देने की मांग की थी. इससे पहले भी सीओ को पत्र लिखा गया था, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा.
सबौर नगर पंचायत में ये है कूड़ा उठाने व फेंकने की व्यवस्था
सबौर नगर पंचायत में 10 वार्ड हैं. इसकी चौहद्दी उत्तर में एनएच-80, दक्षिण में होली फैमिली रोड सुलतानपुर भिट्ठी, पूरब में एनएच-80 खनकित्ता और पश्चिम में फतेहपुर है. यहां से प्रतिदिन लगभग एक ट्रेलर पर कूड़ा उठाव कर ट्रैक्टर से ढोया जाता है. सामान्य दिनों में 40 और विशेष परिस्थिति में लगभग 52 सफाइकर्मियों को कूड़ा उठाव में लगाया जाता है. कूड़ा उठाव के लिए एक ट्रैक्टर-ट्रेलर, एक ऑटो टीपर, 20 ठेला और 10 रिक्शा हैं.
बिना प्रसंस्करण किये कूड़ा फेंकना खतरनाक
खुले में कचरा फेंकना पर्यावरण के लिए काफी बहुत ही खतरनाक है. इस तरह कूड़ा फेंकने से उसमें कभी-कभी आग लग जाती है या लगा दी जाती है. इससे प्रदूषण लेवल हाइ हो जाता है. पशु विचरण के दौरान कूड़े में मिले खाद्य पदार्थ का अपशिष्ट खाने के दौरान प्लास्टिक और अन्य अखाद्य वस्तु निगल लेते हैं और बीमार पड़ जाते हैं. कूड़ा लोगों के स्वास्थ्य पर घातक साबित होता है. इससे जहरीली गैस निकलती है, जिससे सांस की बीमारी, टीबी, दमा, चर्मरोग, एनिमिया, कैंसर, जेनेटिक बीमारियों के साथ-साथ अन्य घातक बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है.