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कोल इंडिया में मृत कर्मी की नौकरी के लिए आश्रितों का दायरा बढ़ाया गया

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) में नौकरी के दौरान मारे गये श्रमिकों के आश्रित के रूप में ट्रांसजेंडर संतान, वैध रूप से गोद लिया गया संतान, विधवा पुत्रवधू को नौकरी देने का प्रावधान शुरू हो गया.

जेबीसीसीआइ ग्यारह की मानकीकरण समिति की दूसरी बैठक में चर्चा पर दोनों पक्षों में हुई थी सहमति प्रतिनिधि, आसनसोल. कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) में नौकरी के दौरान मारे गये श्रमिकों के आश्रित के रूप में ट्रांसजेंडर संतान, वैध रूप से गोद लिया गया संतान, विधवा पुत्रवधू को नौकरी देने का प्रावधान शुरू हो गया. अब 12 साल की बेटी को भी 18 साल तक लाइव रोस्टर में शामिल करने का भी प्रावधान शुरू हुआ है. इस आशय में कोल इंडिया के महाप्रबंधक (श्रम शक्ति व औद्योगिक संबंध) तथा जेबीसीसीआइ ग्यारह के संयोजक गौतम बनर्जी ने कार्यालय क्रियान्वयन आदेश जारी किया. इससे श्रमिकों के प्रत्यक्ष और परोक्ष आश्रितों का दायरा काफी बढ़ गया है. अब उनकी मौत के बाद किसी न किसी आश्रित को उनकी जगह जरूर नौकरी मिल जायेगी. गौरतलब है कि छह फरवरी 2024 को जैसलमेर में जेबीसीसीआइ ग्यारह की मानकीकरण समिति की दूसरी बैठक हुई थी. जिसमें अन्य मुद्दों के साथ-साथ यूनियनों ने श्रमिकों के आश्रितों का दायरा बढ़ाने पर चर्चा की थी. जिसमें ट्रांसजेंडर संतान, वैध रूप से गोद लिया संतान, विधवा पुत्रवधु को भी आश्रितों की सूची में शामिल करने की मांग की गयी थी, जिसपर विस्तृत चर्चा के बाद सहमति बनी थी. यूनियन नेताओं ने बेटा बेटी को समान अधिकार दिलाने के तहत 12 साल के बेटे के तरह बेटी को भी लाइव रोस्टर में शामिल करने की मांग की थी. यदि किसी श्रमिक की मौत हो जाती है और उसका बेटा यदि 12 साल से अधिक उम्र का है तो उसे 18 साल तक लाइव रोस्टर में शामिल कर लिया जाता था. 18 साल उम्र पूरा होते ही उसे नौकरी मिल जाती थी. यह बेटियों पर लागू नहीं था, अब से बेटियों को इसमें शामिल कर लिया गया. इस आशय को लेकर कार्यालय क्रियान्वयन आदेश जारी होते ही यह लागू हो गया. यूनियन नेताओं का तर्क है कि इससे कई श्रमिकों के आश्रितों को इसका लाभ मिलेगा. प्रत्यक्ष और परोक्ष आश्रित की सूची में पहले शामिल थे ये लोग कोल इंडिया के प्रावधान के तहत पहले किसी श्रमिक के प्रत्यक्ष आश्रित की सूची में पति/पत्नी, अविवाहित लड़की, पुत्र और वैध रूप से गोद लिया गया पुत्र शामिल थे. परोक्ष रूप से आश्रित की सूची में भाई, विधवा बेटी, दामाद आदि शामिल थे. नौकरी के दौरान श्रमिक की मौत के बाद पहले उनके प्रत्यक्ष आश्रित को नौकरी मिलने और प्रत्यक्ष आश्रित के बाद परोक्ष आश्रित को नौकरी मिलती थी. ऐसे अनेकों श्रमिक हैं जिनके पास प्रत्यक्ष या परोक्ष आश्रित नहीं थे, जिनकी मौत के बाद उनकी जगह किसी को नौकरी नहीं मिली. आश्रितों का दायरा बढ़ने से यह समस्या समाप्त हो जायेगी.

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