कुवैत अग्निकांड में भारत के 45 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है जिनमें बिहार के भी श्रमिक शामिल हैं. कुवैत की इमारत में लगी आग की चपेट में आकर जान गंवाने वालों में एक श्रमिक गोपालगंज के हैं तो दूसरे दरभंगा के. हालांकि श्रम संसाधन विभाग ने अभी तक एक ही बिहार निवासी की मौत की पुष्टि की है जो गोपालगंज के रहने वाले शिव शंकर सिंह हैं. वहीं दरभंगा के निवासी काले खां की भी मौत की खबर उनके परिजनों को मिली है जिसके बाद से परिजनों में मातम छाया हुआ है. काले खां की शादी की तैयारी चल रही थी लेकिन उसकी मौत की खबर ने सबको अब झकझोर दिया है.
दरभंगा के युवक की भी गयी जान, शादी करने लौटने ही वाला था वतन
कुवैत की इमारत में लगी भीषण आग में दरभंगा के नैनाघाट वार्ड छह निवासी मरहूम इस्लाम खां के पुत्र काले खां (23) की भी मौत हो गयी. काले खां की शादी की तैयारी उसके घर में चल रही थी. अगले ही महीने बारात नेपाल जाने वाला था जहां उसकी शादी तय की गयी थी. काले खां अगले महीने 5 जुलाई को भारत लौटने वाला था. वह इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. परिजनों ने बताया कि उसे जन्म देने वाली मां इस दुनिया में नहीं है और वो अपने सौतेली मां से काफी लगाव रखता था. रोज उनसे बात फोन पर होती थी.
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आखिरी फोन कॉल और फिर टीवी पर फ्लैश हुई खबर
मृतक के परिजनों ने बताया कि मंगलवार कर रात 12 बजकर 18 मिनट पर काले खां ने कुवैत से अपनी सौतेली मां से दरभंगा बात की थी. जब उसने बुधवार को कोई फोन नहीं किया तो दरभंगा में उसके परिजनों की चिंता बढ़ी. उसका फोन भी नहीं लग रहा था. इसी बीच टीवी पर आ रही एक खबर ने सबकी चिंता को और बढ़ा दिया. कुवैत में एक इमारत में आग लग गयी थी. खबर देखते ही उसकी मां ने अपने सगे-संबंधियों को फोन करना शुरू कर दिया. जब काले खां के चाचा ने कुवैत में ही रहने वाले गांव के एक लड़के से बात की और उसे काले खां के पास जाकर हाल जानने को कहा तो शाम में मनहूस खबर फोन पर उसने दी कि काले खां अब इस दुनिया में नहीं रहा. कुवैत अग्निकांड में उसकी मौत हो गयी है. बताया कि अस्पताल से शव को रिलीज कर दिया गया है.
छह साल से कुवैत में रह रहा था युवक
काले खां कुवैत में एक मॉल में श्रमिक के रूप में काम करता था. उसके पिता ने तीन शादी की. दो पत्नियों का इंतकाल हो गया है. काले खां दूसरी पत्नी का इकलौता बेटा था. वह छह साल से कुवैत में रहकर काम कर रहा था. अब अपनी शादी करके वो नयी दुनिया बसाने वाला था लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था. काले खां के शव का इंतजार अब उसके परिजन कर रहे हैं.